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केरल में खाली हो रही राज्यसभा की तीन सीटों को लेकर एलडीएफ में रस्साकशी की आशंका

Fear of tug of war in LDF regarding three Rajya Sabha seats falling vacant in Kerala

तिरुवनंतपुरम, 11 मई । चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही केरल में एक नया मुद्दा सामने आने वाला है। एक जुलाई को खाली हो रही राज्यसभा की तीन सीटों को लेकर वामदलों के गठबंधन एलडीएफ में रस्साकशी की आशंका है। अब सभी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सत्तारूढ़ सीपीआई-एम के नेतृत्व में वाम दल इससे कैसे निपटेंगे।

एक जुलाई को राज्यसभा से केरल से तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। सेवानिवृत्त होने वाले सभी सदस्य वाम दलों के हैं। इन खाली सीटों पर वाम दलों के दो सदस्य जीतेंगे, जबकि एक सीट कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ के खाते में जाएगी।

सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों में वामपंथी सहयोगियों के दो राज्य पार्टी प्रमुख शामिल हैं। बिनॉय विश्वम केरल सीपीआई के प्रमुख और जोस के. मणि केरल कांग्रेस (मणि) (केसी-एम) के प्रमुख हैं। एक अन्य सीपीआई-एम के वरिष्ठ नेता इलामारम करीम हैं।

एक सीट पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की जीत सुनिश्चित है। सत्तारूढ़ वाम दलों के खाते में दो सीटें जाएंगी। इनमें से एक सीट पर वाम दलों में बड़े भाई की भूमिका निभा रही सीपीआई-एम का कब्जा होगा। शेष एक सीट के लिए सीपीआई व केसी-एम के बीच जोर आजमाइश होगी।

सीपीआई सत्तारूढ़ वाम गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी है। यह वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के गठन के समय से ही उसके साथ है। केसी-एम तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी है। पार्टी के विभाजन के बाद 2020 में मणि के नेतृत्व में यह एलडीएफ में शामिल हुई।

एक राजनीतिक आलोचक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा,“चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। चुनाव में सीपीआई ने दो सीटों पर और केसी-एम ने एक सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। चुनाव के नतीजे इन दोनों दलोें के लिए अहम होंगे। आलोचक ने कहा, सीपीआई और केसी-एम के बीच सहमति न बनने पर सीपीआई-एम का फैसला अंतिम होगा।”

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