हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य वन विभाग को एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख हो।
सुनवाई के दौरान, अदालत के ध्यान में लाया गया कि आवारा कुत्तों और बंदरों के खतरे को नियंत्रित करने तथा हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वन्यजीव विंग द्वारा इन पर नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों के संबंध में नगर निगम शिमला और वन विभाग द्वारा जवाब दाखिल किए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस पर गौर करने के बाद कहा कि “हालांकि, आवारा कुत्तों और बंदरों की नसबंदी के लिए कदम उठाए गए हैं, लेकिन जिले में कई जगहों पर यह समस्या अब भी बनी हुई है।”
अदालत ने कहा कि “केंद्र सरकार को नियमों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि उक्त नियम संबंधित पशुओं को उसी स्थान पर छोड़ने का निर्देश देते हैं, जहां से उन्हें उठाया गया है।”
न्यायालय ने राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को इस आदेश से सक्षम प्राधिकारी को अवगत कराने का निर्देश दिया।
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