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बंधवाड़ी लैंडफिल में आग लगने से अरावली को खतरा

Fire in Bandhwari landfill poses threat to Aravalli

हरियाणा सरकार द्वारा जंगल और फसल की आग के लिए अलर्ट जारी करने के ठीक एक दिन बाद, अरावली में स्थित बंधवारी लैंडफिल में भीषण आग लग गई। कथित तौर पर लैंडफिल के पीछे वन क्षेत्र में फेंके गए कचरे में लगी आग देर शाम तक भी भड़की हुई थी, जिसे जंगल में फैलने से रोकने के लिए मौके पर पांच दमकल गाड़ियां तैनात की गई थीं।

इस महीने लैंडफिल में यह दूसरी आग है, जिससे साइट की अग्नि तैयारी पर चिंता बढ़ गई है। संकट को और भी जटिल बनाने वाली बात यह थी कि अग्निशमन गाड़ियाँ मुख्य अग्नि क्षेत्र तक पहुँचने में असमर्थ थीं।

अग्निशमन अधिकारियों ने दावा किया कि लैंडफिल के ढेर में जमा कचरे ने साइट के पीछे के वन क्षेत्र तक पहुँचने के मुख्य मार्गों को अवरुद्ध कर दिया है। इससे अग्निशमन प्रयासों में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई।

“लैंडफिल के पीछे जंगल क्षेत्र की ओर पड़े कचरे में आग लगी है। हमने पाँच दमकल गाड़ियाँ भेजी हैं। हाँ, कचरे की वजह से उन्हें मौके पर पहुँचने में दिक्कत हुई। हमने स्थिति पर काबू पा लिया है, लेकिन कचरे की प्रकृति को देखते हुए इसमें समय लगेगा। अभी तक हम जंगल को बचाने में कामयाब रहे हैं,” फायर सेफ्टी ऑफिसर जय नारायण ने कहा।

इस घटना से स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में व्यापक रोष फैल गया। उन्होंने गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि हर साल आश्वासन के बावजूद हर साल गर्मियों में ऐसी आग लगती है।

स्थानीय अरावली कार्यकर्ता वैशाली राणा ने कहा, “अग्निशमन गाड़ियां लैंडफिल के पीछे नहीं पहुंच पा रही हैं, जहां आग लगी हुई है, क्योंकि एमसीजी ने राजस्व मार्ग को टनों नगरपालिका कचरे से अवरुद्ध कर दिया है। इससे अब पूरे जंगल को खतरा है। मैं मांग कर रही हूं कि वन विभाग अपने क्षेत्र का सीमांकन करे और स्वीकृत सीमा से अधिक वन भूमि पर कब्जा करने के लिए एमसीजी को दंडित करे। वन्यजीव विभाग को एमसीजी की वन्यजीव एनओसी रद्द कर देनी चाहिए।” निवासियों का कहना है कि हीट सेंसर, गैस डिटेक्टर और 24×7 निगरानी स्थापित करने के वादे कागजों पर ही रह गए हैं, जिनका जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ है।

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