लंदन,उच्च मुद्रास्फीति और वेतन को लेकर लंबे विवादों के बीच ब्रिटेन में करीब पांच लाख शिक्षक, विश्वविद्यालय के कर्मचारी, ट्रेन चालक और सिविल सेवक हड़ताल पर चले गए। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को इंग्लैंड और वेल्स में नेशनल एजुकेशन यूनियन के सदस्यों ने वॉकआउट किया। इससे 23,400 स्कूल प्रभावित हुए। संघ ने कहा कि स्कूल प्रणाली के भीतर भर्ती और प्रतिधारण का संकट है और सरकार को एक दशक से गिरते वेतन का समाधान करना चाहिए।
पूरे ब्रिटेन में 150 विश्वविद्यालयों के लगभग 70 हजार कर्मचारी पहले 18 दिनों में वेतन, काम करने की स्थिति और पेंशन के विवादों में हड़ताल पर हैं।
विश्वविद्यालय और कॉलेज संघ ने कहा कि उनकी कार्रवाई फरवरी और मार्च में 2.5 मिलियन छात्रों को प्रभावित करेगी।
कॉलेज यूनियन के महासचिव जो ग्रैडी ने कहा, कर्मचारी ज्यादा मांग नहीं कर रहे हैं। वे एक अच्छा वेतन वृद्धि, सुरक्षित रोजगार और विनाशकारी पेंशन कटौती को उलटना चाहते हैं।
14 रेल ऑपरेटरों के नेशनल यूनियन ऑफ रेल, मैरीटाइम एंड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (आरएमटी) के ट्रेन ड्राइवरों के भी शुक्रवार को वेतन और शर्तों को लेकर हड़ताल करने की उम्मीद है।
आरएमटी के महासचिव मिक लिंच ने कहा, हमारे सदस्यों को दी जाने वाली नौकरियों, शर्तों और वेतन पर एक पैकेज बनाने के लिए रेल ऑपरेटरों के साथ हमारी बातचीत जारी रहेगी।
साथ ही बुधवार को सिविल सेवा में 100 से अधिक विभिन्न नियोक्ताओं द्वारा नियोजित सार्वजनिक और वाणिज्यिक सेवा संघ के लगभग 100,000 सदस्य वेतन, पेंशन और नौकरियों पर संघ के राष्ट्रीय अभियान के हिस्से के रूप में हड़ताल परन चले गए।
हड़ताल के जवाब में प्रधान मंत्री ऋषि सनक के एक प्रवक्ता ने कहा कि इससे लोगों का जीवन बाधित होगा। बातचीत सही ²ष्टिकोण है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष के दौरान, यूके ने रिकॉर्ड-उच्च मुद्रास्फीति देखी है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 10.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा, और खाद्य मुद्रास्फीति ऐतिहासिक रूप से उच्च रहने के कारण जीवन-यापन का संकट जारी रहा।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने खुलासा किया कि इस बीच सरकार मजदूरी बनाए रखने में विफल रही है। जब मुद्रास्फीति के लिए समायोजित किया गया, तो कुल और नियमित वेतन में वास्तविक वृद्धि सितंबर से नवंबर 2022 तक 2.6 प्रतिशत गिर गई। 2001 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है।
लगातार उच्च मुद्रास्फीति के बीच बाजार अनुसंधान कंपनी इप्सोस के सर्वेक्षण से खुलासा हुआ कि 67 प्रतिशत ब्रिटेन का मानना है कि जीवन यापन की लागत का सबसे बुरा संकट अभी आना बाकी है, जबकि 27 प्रतिशत का मानना है कि इसका प्रभाव पहले ही अपने चरम पर पहुंच चुका है।
गौरतलब है कि वेतन को लेकर ब्रिटेन में पिछली गर्मियों से हड़तालों का दौर चल रहा है।
सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च ने कहा कि हड़ताल से ब्रिटेन मिनी लॉकडाउन में डूब गया है। आधे मिलियन कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, और लाखों अन्य लोगों को बड़े पैमाने पर वॉकआउट के कारण घर पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।