चंडीगढ़, 29 मार्च, 2025 – चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने आज पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति निर्मल यादव को 2008 में एक मौजूदा न्यायाधीश के आवास पर 15 लाख रुपये नकद पहुंचाने से संबंधित 15 साल पुराने रिश्वत मामले में बरी कर दिया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश अलका मलिक ने फैसला सुनाया।
मामला अगस्त 2008 का है, जब तत्कालीन न्यायाधीश निर्मलजीत कौर के चपरासी ने बताया कि 15 लाख रुपये की नकदी से भरा एक बैग गलती से उनके न्यायालय आवास पर पहुंचा दिया गया था। डिलीवरी की संदिग्ध प्रकृति का एहसास होने पर, न्यायाधीश कौर ने तुरंत घटना की सूचना दी, जिसके बाद कूरियर को गिरफ्तार कर लिया गया।
बाद में जांच में न्यायमूर्ति निर्मल यादव को भी आरोपी पाया गया और आरोप लगाया गया कि यह नकदी उनके लिए थी।
सीबीआई ने 2010 में न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार और षड्यंत्र के आरोपों के तहत आरोपपत्र दायर किया था, जिसके कारण लंबी कानूनी लड़ाई चली। हालांकि, वर्षों की कार्यवाही के बाद, अदालत ने आज उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया, क्योंकि आपराधिक इरादे या प्रत्यक्ष संलिप्तता को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे।
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