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: त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब बोले : भाजपा या मोदी सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं

Former Tripura Chief Minister Biplab Deb said: There is no anti-incumbency wave against BJP or Modi government.

अगरतला, 12 अप्रैल । त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य बिप्लब कुमार देब ने कहा कि त्रिपुरा या पूर्वोत्तर क्षेत्र में भाजपा या नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी कारक नहीं है।

देब ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, अगर यहां-वहां कोई छोटे-मोटे मुद्दे हैं, तो वे तब कम हो जाते हैं, जब लोग मानते हैं कि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं और ‘मोदी की गारंटी’ मौजूद है।

उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद मोदी 70 से अधिक बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं, जो शायद उनके पहले के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की कुल यात्राओं से अधिक है। क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों के बराबर विकसित करने के लिए उन्होंने एक ठोस ‘मिशन और विजन’ को अपनाया।

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अब पूर्वोत्तर राज्यों के 10,000 से अधिक युवा सैकड़ों स्टार्ट-अप से जुड़े हैं और उन्होंने क्षेत्र में 1,000 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाई है।

देब हरियाणा के भाजपा प्रभारी भी हैं, उन्‍होंने कहा, “न केवल क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हुआ, बल्कि पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के कई नेताओं को केंद्रीय मंत्री बनाया और अन्य राज्यों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र को ‘अष्ट लक्ष्मी’ कहा है और क्षेत्र के अप्रयुक्त संसाधनों का उपयोग करने के लिए दर्जनों योजनाएं और परियोजनाएं लागू की हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी कॉरपोरेट सेक्टर या किसी बड़े राजनीतिक परिवार से नहीं आते, वह एक विनम्र और साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं, लेकिन उनका ‘मिशन और विजन’ भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए काफी विशाल है।

उन्‍होंने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बाद नरेंद्र मोदी ऐसे नेता हैं जो किसी भी तरह की समस्या और संकट को हल करने के लिए सबसे प्रभावी दिशा-निर्देश दे सकते हैं।“

“सभी धर्मों के लोग किसी भी तरह की प्रार्थना करते समय अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और भगवान की छवि की कल्पना करते हैं। हम भी मोदी को ऐसा ही मानते हैं।”

53 वर्षीय देब जनवरी 2016 में भाजपा त्रिपुरा राज्य इकाई के अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने लगातार 25 वर्षों (1993-2018) से सत्ता में रहेे सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे को सत्ता से बाहर करने के लिए पार्टी का नेतृत्व किया और भाजपा के नेतृत्व वाली पहली सरकार के मुख्यमंत्री बन गए। असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के बाद वह पूर्वोत्तर में चौथे मुख्यमंत्री बने।

उन्होंने दावा किया कि त्रिपुरा में कोई मजबूत विपक्षी दल नहीं है, इसलिए लोकसभा चुनाव में विपक्ष से कोई बड़ी चुनौती नहीं है।

देब ने कहा, “मेरी एकमात्र चुनौती विपक्षी कम्युनिस्टों और कांग्रेस नेताओं को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर मोड़ना है। कई दशकों तक राजनीति में रहने के बाद उन्होंने क्या किया है? उन्होंने केवल लोगों को बेवकूफ बनाया और हमेशा उन्हें विभिन्न तथाकथित आंदोलनों में शामिल किया।”

त्रिपुरा की चालीस लाख आबादी में 19 समुदायों वाले आदिवासियों की आबादी एक तिहाई है और 60 विधानसभा सीटों में से बीस सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, जो या तो हिंदू या ईसाई धर्म से संबंधित हैं।

राज्य की दो लोकसभा सीटों में से एक – त्रिपुरा पूर्व – आदिवासियों के लिए आरक्षित है, जिन्होंने पिछले सात दशकों में त्रिपुरा की चुनावी राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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