पटना, 11 मई । लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में बिहार की पांच सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर दोनों गठबंधनों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस चरण में जदयू और भाजपा के सामने अपनी सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है। इनमें तीन सीटों पर एक दशक से भाजपा का कब्जा है।
चौथे चरण में बिहार के दरभंगा, बेगूसराय, मुंगेर, समस्तीपुर और उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता 13 मई को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
चौथे चरण में होने वाले चुनाव में बेगूसराय सीट पर पूरे देश की नजर है। इस सीट पर एनडीए के गिरिराज सिंह और महागठबंधन के अवधेश राय के बीच सीधा मुकाबला है। इस सीट पर पिछले 10 सालों से भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने विगत दो आम चुनावों में यहां से अपने प्रत्याशी जरूर बदले, पर अपना कब्जा बरकरार रखा।
साल 2014 के आम चुनाव में भाजपा के भोला सिंह को जीत मिली थी, जबकि 2019 के आम चुनाव में भाजपा ने यहां से गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा। गिरिराज सिंह भी भाजपा का किला बचाने में सफल रहे। गिरिराज के सामने इस किले को बचाए रखना एक बार फिर से चुनौती है।
उजियारपुर सीट से भी दो चुनावों से भाजपा के प्रत्याशी ही जीत रहे हैं। साल 2014 में भाजपा के टिकट पर यहां से नित्यानंद राय जीते थे। वर्ष 2019 में भी भाजपा ने नित्यानंद राय को मौका दिया और वह किला बचाने में सफल रहे। इस बार भी भाजपा ने फिर से नित्यानंद राय को मैदान में उतारा है, जहां उनका मुकाबला राजद के आलोक मेहता से है।
दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से भी 2014 और 2019 के आम चुनाव में भाजपा की जीत मिली। 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा के कीर्ति आजाद ने परचम लहराया तो 2019 में गोपालजी ठाकुर विजयी रहे। इस चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर गोपालजी ठाकुर पर दांव लगाया है। ठाकुर का मुख्य मुकाबला राजद के ललित यादव से है।
दरभंगा, बेगूसराय और उजियारपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के सामने अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं मुंगेर से जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह को किला बचाए रखना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। पिछले चुनाव में यहां से ललन सिंह ने बड़ी जीत हासिल की थी। उसके पहले 2014 में भी यह सीट एनडीए के कब्जे में थी। तब लोजपा के टिकट पर वीणा देवी को यहां से जीत मिली थी। इस चुनाव में ललन सिंह का मुकाबला राजद की अनिता देवी से है। समस्तीपुर सीट भी एनडीए के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई है।
समस्तीपुर में इस बार लोजपा (रामिवलास) ने शांभवी चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। 2019 में इस सीट से लोजपा प्रत्याशी के रूप रामचंद्र पासवान की जीत हुई थी, हालांकि उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र प्रिंस राज यहां से विजयी हुए।
साल 2014 में भी लोजपा के टिकट पर रामचंद्र पासवान को यहां से जीत मिली थी। इस चुनाव में शांभवी का मुकाबला कांग्रेस के सन्नी हजारी से है।