मुंबई, 1 जुलाई । राजनीतिक स्थिरता और घरेलू निवेशकों की ओर से लगातार निवेश किए जाने से शेयर बाजार में तेजी आने के कारण फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (एफपीआई) भारत में एक बार फिर बढ़ गया है। मार्केट एक्सपर्ट्स की ओर से यह जानकारी दी गई।
एफपीआई की ओर से जून में कुल 26,565 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में निवेश किए गए हैं। बता दें कि पिछले दो महीनों में विदेशी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में शुद्ध रूप से बिकवाली की जा रही थी।
बाजार के जानकारों का कहना है कि एफपीआई को भी अब यह अहसास हो गया है कि दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते हुए शेयर बाजार में लगातार बिकवाली करना सही फैसला नहीं है। इस कारण से अब उन्होंने अपनी रणनीति को बदला है और जून में शुद्ध रूप से खरीदार बन गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि विदेशी निवेशकों की ओर से की जा रही खरीदारी आगे भी जारी रह सकती है। अगर यूएस बॉन्ड यील्ड में कोई उछाल नहीं आता है।
नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) पर मौजूद जून के पहले 15 दिनों का डेटा दिखाता है कि विदेशी निवेशक रियल्टी, टेलीकॉम और फाइनेंसियल में खरीदारी और आईटी, मेटल और ऑयल एंड गैस शेयरों में बिकवाली कर रहे हैं। ऐसी उम्मीद है कि फाइनेंसियल शेयरों में खरीदारी का ट्रेंड जारी रह सकता है।
जियोजित फाइनेंसियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजय कुमार ने कहा कि भारत का जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होना सकारात्मक है।
उन्होंने आगे कहा कि 2024 में डेट इनफ्लो 68,674 करोड़ रुपये का रहा है। लंबी अवधि में ये सरकार की उधारी की लागत को कम कर देगा। इसके साथ भी कॉरपोरेट्स भी कम लागत पर पूंजी जुटा पाएंगे। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार दोनों के लिए सकारात्मक है। एफपीआई उन जगह पर बिकवाली कर रहे हैं। जहां वैल्यूएशन महंगे हैं। वहीं, विदेशी निवेशक उन जगहों पर खरीदारी कर रहे हैं। जहां वैल्यूएशन सस्ता है।
एनालिस्ट ने आगे कहा कि अधिक वैल्यूएशन के कारण एफपीआई का इनफ्लो सीमित रह सकता है।