सोलन, 29 अगस्त प्राकृतिक कृषि पद्धतियों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए नवीन कृषि पारिस्थितिकी कार्य की खोज के लिए फ्रांसीसी राष्ट्रीय कृषि, खाद्य एवं पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (आईएनआरएई) के वैज्ञानिकों का एक दल डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के तीन सप्ताह के दौरे पर है।
एलआईएसआईएस की उप निदेशक एलिसन मैरी लोकोंटो के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम में शोधकर्ता मिरेइल मैट, डॉ. इवेलिन लोस्टे और डॉ. रेनी वान डिस शामिल हैं।
उनका दौरा यूरोपीय आयोग द्वारा वित्त पोषित कृषि-पारिस्थितिक फसल संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सह-नवप्रवर्तन गतिशीलता और स्थायित्व के साक्ष्य (एसीआरओपीआईसी) परियोजना का हिस्सा है।
INRAE द्वारा समन्वित इस परियोजना का उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिक फसल संरक्षण में सह-नवाचार को आगे बढ़ाना है। परियोजना का उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिक फसल संरक्षण में प्रणालीगत नवाचारों के माध्यम से रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करना, तथा इन प्रणालियों की स्थिरता का समर्थन करने वाले मजबूत वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध कराना है।
प्रतिनिधिमंडल का आज विश्वविद्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। कुलपति राजेश्वर सिंह चंदेल ने फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का स्वागत किया और प्राकृतिक खेती के माध्यम से टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
निदेशक (विस्तार शिक्षा) इंद्र देव ने विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती पहलों का अवलोकन प्रस्तुत किया, जबकि निदेशक (अनुसंधान) संजीव चौहान ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान गतिविधियों के बारे में चर्चा की।
लोकोंटो ने INRAE और ACROPICS परियोजना पर गहन प्रस्तुति दी। टीम ने विश्वविद्यालय के औषधीय पौधों के फार्म, प्राकृतिक खेती ब्लॉक और नव स्थापित ‘यूएचएफ नेचुरल स्टोर’ का दौरा किया, जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा समर्थित विभिन्न प्राकृतिक खेती-आधारित किसान उत्पादक कंपनियों के 100 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित हैं।
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