जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने नीतीश कुमार के शासन को महिलाओं के लिए सबसे अच्छा बताया और कहा कि बिहार में प्रशासनिक सुधारों ने राज्य की छवि ही बदल दी है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का पिछले 20 साल का ट्रैक रिकॉर्ड इस बात का सबूत है कि उन्होंने खास तौर पर लड़कियों की शिक्षा, महिलाओं की सुरक्षा और महिला सशक्तीकरण के लिए ऐतिहासिक काम किया है। झा के मुताबिक, अगर जेडीयू लगातार चुनाव जीतती रही है, तो उसका बड़ा कारण यह है कि महिलाएं नीतीश कुमार के कामों को समझती हैं और उन पर भरोसा करती हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार में इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और प्रशासनिक सुधारों पर भी बहुत काम हुआ, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव महिलाओं की स्थिति में आया। उन्होंने कहा कि जो काम हजार साल में नहीं हुआ, वह नीतीश कुमार ने बीस साल में कर दिखाया है। स्कूल की लड़कियों को साइकिल और ड्रेस देने की योजना ने भी शिक्षा में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने कहा कि आज देश में पुलिस में सबसे ज्यादा महिलाएं बिहार में हैं और इसका श्रेय भी नीतीश कुमार के फैसलों को जाता है।
पंचायतों में महिलाओं को रिजर्वेशन देना हो, सरकारी नौकरियों में मौका देना हो, या सुरक्षा की दृष्टि से कानून-व्यवस्था मजबूत करनी हो, इन सब मुद्दों पर झा का दावा है कि नीतीश कुमार ने ऐसा काम किया है जिससे सीधे-सीधे महिलाओं को फायदा पहुंचा है।
संजय झा ने विपक्ष की तरफ से लगाए गए आरोपों पर भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष बौखलाहट में अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर रहा है क्योंकि बिहार में हाल ही में जो मतदाता सूची का बड़ा अभियान चला, वह बहुत पारदर्शी था। उन्होंने पूछा कि क्या आपने सुना कि किसी बीएलओ के खिलाफ कोई शिकायत आई? क्या किसी को लगा कि उसका वोट काट दिया गया?
झा का दावा है कि बिहार में यह काम बिल्कुल साफ-सुथरे तरीके से हुआ, लेकिन पश्चिम बंगाल में इस प्रक्रिया को जानबूझकर विवादित बनाया जा रहा है। बिहार में फर्जी मतदान की सफाई हो चुकी है और अब बारी बंगाल की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि वे वोटर लिस्ट को क्लियर करने की प्रक्रिया को रोकना चाहती हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे फर्जी वोटिंग खत्म हो जाएगी।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का भी जिक्र किया, ‘गंगा बिहार से निकलकर बंगाल जाती है,’ और कहा कि इसका मतलब साफ है कि जो पारदर्शिता और सफाई का काम बिहार में हुआ है, वह अब बंगाल में भी होना चाहिए और शायद अगला चुनाव वहां की राजनीति को बदल दे।


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