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उल्टा स्वास्तिक बनाने वाले भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं ऊन महालक्ष्मी, दिवाली पर होती है विशेष पूजा

Goddess Mahalakshmi fulfils the wishes of devotees who make an inverted swastika; special puja is performed on Diwali.

भारत मंदिरों का देश है, जहां शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर की मान्यता सबसे ज्यादा है। देश के अलग-अलग राज्यों में कई शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर हैं, जहां भक्त अपनी मुरादों के साथ भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं।

ऐसा ही मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है, जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मुराद को पूरा करती हैं। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ऊन महालक्ष्मी मंदिर जितना पुराना है, उतना ही मान्यताओं के लिए जाना जाता है। दिवाली के मौके पर मंदिर में श्रद्धालु खास परंपरा का निर्वाह करते हैं जिसमें अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भक्त मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, और जैसे ही उनकी मनोकामना पूरी होती है, वो पुन: मंदिर में आकर स्वास्तिक सीधा बनाते हैं।

मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी की प्रतिमा भी काफी मनमोहक है। कहा जाता है कि यहां मां तीन अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं। महालक्ष्मी सुबह बच्चे के रूप में, दोपहर में एक युवा के रूप में, और रात को एक वृद्ध महिला के रूप में दिखती हैं। इसके अलावा, मां की प्रतिमा में छह हाथ हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, और मां कमल के फूल पर विराजमान हैं। बताया जाता है कि ऊन महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण परमार राजाओं के काल में हुआ था। उस काल में खरगोस और उसके आस-पास कई मंदिरों का निर्माण किया गया था। बाकी सभी मंदिरों की हालत जर्जर है, लेकिन मां लक्ष्मी का मंदिर आज भी ठीक-ठाक हालात में है।

मंदिर की प्रतिमा 1000 साल पुरानी है, जिसे पत्थर से बनाया गया था। भक्तों के बीच ऊन महालक्ष्मी का मंदिर काफी लोकप्रिय है। भक्तों की मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना कर मुराद मांगता है, तो वह जरूर पूरी होती है। यहां मां को धन, सुख, यश और वैभव की देवी के रूप में पूजा जाता है। दिवाली पर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है और धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष हवन रखा जाता है। भक्तों के लिए मंदिर के द्वार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं और दिवाली के दिन हजारों की संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं।

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