N1Live National भारत-पाक रिश्तों पर वार्ता के लिए नहीं, एससीओ बैठक के लिए जा रहा हूं इस्लामाबाद: जयशंकर
National

भारत-पाक रिश्तों पर वार्ता के लिए नहीं, एससीओ बैठक के लिए जा रहा हूं इस्लामाबाद: जयशंकर

Going to Islamabad for SCO meeting, not for talks on India-Pak relations: Jaishankar

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर । विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाने वाले हैं। उन्होंने पड़ोसी देश की अपनी आगामी यात्रा के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच किसी वार्ता की संभावना से इनकार किया है।

जयशंकर ने माना कि दोनों देशों के बीच संबंधों की प्रकृति को देखते हुए उनकी पाकिस्तान यात्रा पर मीडिया का खासा ध्यान रहेगा लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह दौरा किसी बातचीत के लिए नहीं हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि लगभग एक दशक में यह पहली बार है कि देश के विदेश मंत्री पाकिस्तान का दौरा करेंगे। दोनों देशों के बीच संबंध खास तनावपूर्ण रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण पाकिस्तानी धरती से संचालित होने वाली आतंकी गतिविधियां हैं।

विदेश मंत्री ने कहा, “यह (यात्रा) एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए होगी। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं एससीओ के एक अच्छे सदस्य के रूप में वहां जा रहा हूं। आप जानते हैं, मैं एक विनम्र और सभ्य व्यक्ति हूं, इसलिए उसी के अनुसार व्यवहार करूंगा।”

पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी कर रहा है।

अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताते हुए जयशंकर कहा, “मैं इस महीने पाकिस्तान जाने वाला हूं। यह यात्रा एससीओ शासनाध्यक्षों की मीटिंग के लिए है। आम तौर पर, राष्ट्राध्यक्षों के साथ उच्च स्तरीय बैठक के लिए प्रधानमंत्री जाते हैं। इस साल यह मीटिंग इस्लामाबाद में हो रही है क्योंकि पााकिस्तान ग्रुप का एक नया सदस्य है।”

आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा आयोजित सरदार पटेल व्याख्यान में जयशंकर ने पाकिस्तान पर उसकी आतंकी गतिविधियों को लेकर परोक्ष हमला भी किया।

विदेश मंत्री ने कहा, “आतंकवाद एक ऐसी चीज है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे एक पड़ोसी ने आतंकवाद का समर्थन करना जारी रखा है। इस क्षेत्र में यह हमेशा नहीं चल सकता। यही कारण है कि हाल के वर्षों में सार्क की बैठकें नहीं हुई हैं।’

जयशंकर ने आगे कहा, “हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि क्षेत्रीय गतिविधियां बंद हो गई हैं। वास्तव में, पिछले 5-6 वर्षों में, हमने भारतीय उपमहाद्वीप में कहीं अधिक क्षेत्रीय एकीकरण देखा है। आज, यदि आप बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों को देखें, तो आप पाएंगे कि रेलवे लाइनों को बहाल किया जा रहा है, सड़कों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है और बिजली ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है।”

Exit mobile version