नई दिल्ली, 20 अगस्त । ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत।’ यह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का वह बुनियादी विचार था, जिसने इतिहास के पन्नों में 20 अगस्त के दिन को उनके जन्मदिन के साथ-साथ सद्भावना दिवस के रूप में भी अंकित कर दिया। सद्भावना दिवस धार्मिक, भाषाई, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय विविधताओं वाले देश में एकता का जश्न मनाता है।
‘एक भारतीय होने का मतलब यह नहीं है कि हम केवल देश के निवासी हैं।’ यह राजीव गांधी के ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रसिद्ध भाषण (1985) की एक पंक्ति है। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे कहा था कि हमारे पास संस्कृतियों की विविधता है। हम सभी धर्मों और आस्था को सम्मान देते हैं। इसी तथ्य से हमारी ताकत और एकता बढ़ती है।
राजीव गांधी की इसी सोच और दृष्टिकोण के सम्मान में 20 अगस्त को उनके जन्मदिन पर सद्भावना दिवस मनाया जाता है। यह सभी धर्मों, भाषाओं और क्षेत्रों के लोगों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता के महत्व को रेखांकित करता है।
‘लेकिन क्या यह भी सच नहीं है कि हममें से ज्यादातर लोग अपने रोजमर्रा के जीवन में खुद को भारतीय नहीं मानते?’ राजीव गांधी ने 1985 की उस स्पीच में यह सवाल भी उठाया था, क्योंकि धर्म, भाषा, जाति और क्षेत्र की संकीर्णता एक उभरते राष्ट्र के स्पष्ट दृष्टिकोण को रोक देती है।
अपने छात्र दिनों में राजनीति विज्ञान या दर्शन की जगह साइंस और इंजीनियरिंग की पुस्तकों के शौकीन राजीव जानते थे कि तकनीकी उन्नति और विकास की इमारत तभी सशक्त होगी जब वह सद्भावना, सहिष्णुता और शांति के पिलर पर टिकी होगी।
‘आइए हम एक ऐसे भारत का निर्माण करें जो जाति, पंथ और धर्म की बाधाओं से परे एकता में बंधा हो।’ यह 21वीं सदी के भारत के निर्माता कहे जाने वाले राजीव गांधी का आह्वान था। ताकि हम न केवल अपनी स्वतंत्रता पर गर्व करें बल्कि अपनी स्वतंत्रता की रक्षा में भी समर्थ हों। ताकि हम गरीबी और सामाजिक और आर्थिक असमानता के बंधनों से भी मुक्त हों। उनके कार्यकाल में देश ने कंप्यूटर क्रांति देखी। इनके कार्यकाल में ही नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर की स्थापना हुई। हर घर कंप्यूटर पहुंचाने के लिए राजीव ने कंप्यूटर से सरकार का कंट्रोल हटा दिया।
राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार की शुरुआत राजीव गांधी की मृत्यु के एक साल बाद, 1992 में कर दी गई थी। यह पुरस्कार 20 अगस्त को सामाजिक शांति और सद्भाव के लिए दिया जाता है।
सद्भावना दिवस हमें यह याद दिलाने का दिन है कि विभिन्न धर्मों, जातियों और भाषाओं के लोग तभी सुखी और समृद्ध रह सकते हैं, जब वे एक-दूसरे के साथ सद्भावना से रहें।
—
Leave feedback about this