मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज महिलाओं और बच्चों के लिए सेवाओं को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई तथा इस बात पर बल दिया कि महिला सशक्तिकरण सरकार के कल्याण एजेंडे का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है।
‘पोषण माह’ की आठवीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछले आठ वर्षों में यह अभियान महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा और बाल कुपोषण को दूर करने के लिए एक प्रमुख आंदोलन बन गया है। इसका मुख्य उद्देश्य छह साल से कम उम्र के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण में सुधार लाना है।”
इस वर्ष के ‘पोषण माह’ विषय पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि यह व्यापक और क्रियाशील दोनों है, जिसमें मोटापा नियंत्रण, बाल देखभाल में सुधार, स्थानीय खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पेड़ लगाना और मातृ एवं शिशु देखभाल में पुरुषों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना जैसे मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा, “इसका उद्देश्य केवल जानकारी फैलाना नहीं, बल्कि जीवनशैली में स्थायी बदलाव लाना है।”
मुख्यमंत्री ने सरकार की पहलों पर ज़ोर देते हुए कहा कि हरियाणा कामकाजी महिलाओं के लिए व्यापक क्रेच नीति लागू करने वाला पहला राज्य है। उन्होंने कहा, “एक महिला का स्वास्थ्य परिवार की सबसे बड़ी पूंजी है। एक स्वस्थ महिला एक मज़बूत परिवार की नींव होती है और एक मज़बूत परिवार एक मज़बूत भारत की नींव होता है। महिलाओं का सशक्तिकरण समाज को मज़बूत बनाता है, इसलिए महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना ज़रूरी है।”
इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने एक विशेष ‘पोषण कैलेंडर’ का अनावरण किया और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। उन्होंने 15 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 500 पुनर्निर्मित आंगनवाड़ी भवनों और 9 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 64 नए आंगनवाड़ी केंद्रों का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर महिला स्वास्थ्य, पोषण और परिवार कल्याण से संबंधित योजनाओं पर एक प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की गई।