December 13, 2024
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संसद सत्र की पूर्व संध्या पर सर्वदलीय बैठक में हरसिमरत बादल ने किसानों और पंजाब के लिए न्याय की मांग की

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की वरिष्ठ नेता और बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने आज पंजाब के किसानों को न्याय सुनिश्चित करने की जोरदार अपील की, जिन्हें धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से वंचित किया जा रहा है और डीएपी उर्वरक की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही उन्होंने पंजाबियों के लिए भी न्याय सुनिश्चित करने की अपील की, जिनका चंडीगढ़ पर अधिकार एक अलग विधानसभा के निर्माण के लिए केंद्र शासित प्रदेश हरियाणा को भूमि आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर और कम कर दिया गया है।

संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेते हुए श्रीमती हरसिमरत बादल ने कहा कि राज्य के किसानों की दुर्दशा के लिए केंद्र और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों सरकारें जिम्मेदार हैं।

“हमारे किसानों को कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ी क्योंकि उन्हें धान की फसल में नमी की वजह से मंडियों में लगातार परेशान किया जा रहा था। इतना ही नहीं। किसानों को डीएपी खाद की आपूर्ति से वंचित किया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने पंजाब को खाद के आवंटन में 1.28 लाख टन तक की कटौती कर दी है।”

उन्होंने कहा कि पंजाब में किसानों को धान की अगेती किस्मों के नकली बीजों की बिक्री के कारण भी नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसे रोकने में आप सरकार विफल रही है, साथ ही नकली डीएपी उर्वरक की बिक्री भी रुकी हुई है।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किस प्रकार पंजाब में शैलर मालिक शिकायत कर रहे हैं कि पिछले वर्ष का धान का स्टॉक भी राज्य से बाहर नहीं भेजा गया है तथा विभिन्न राज्य सरकारें पंजाब से भेजे गए चावल को तुच्छ आधार पर अस्वीकार कर रही हैं।

सांसद ने केंद्र को यह भी याद दिलाया कि किसान आंदोलन समाप्त होने के समय एमएसपी कमेटी का वादा किया गया था, लेकिन किसान संगठनों की संतुष्टि के लिए अभी तक उसका गठन नहीं किया गया है। बठिंडा की सांसद ने हरियाणा द्वारा अलग विधानसभा के निर्माण के लिए हरियाणा में भूमि आवंटन पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।

उन्होंने कहा कि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन है, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की सीमाओं में संशोधन केवल संसद द्वारा ही किया जा सकता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चंडीगढ़ पंजाब का अविभाज्य हिस्सा है और इसे तुरंत राज्य को सौंप दिया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में हरियाणा को भूमि आवंटन रोकने की मांग की।

बादल ने इस बात पर भी चर्चा की कि किस तरह पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में लोकतांत्रिक कामकाज को बाधित किया जा रहा है, क्योंकि सरकार विश्वविद्यालय की सीनेट के लिए चुनाव नहीं करा रही है और इस निकाय को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अकाली दल इसका पुरजोर विरोध करेगा और मांग की कि सीनेट के लिए तुरंत चुनाव कराए जाएं।

शिअद नेता ने सिख बंदियों की रिहाई में हो रही देरी पर भी अपनी पीड़ा व्यक्त की, जिन्हें उन्होंने बंदी सिंह कहा।

उन्होंने कहा कि हालांकि केंद्र सरकार ने 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर सभी बंदी सिंहों को रिहा करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार भाई बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर पिछले बारह वर्षों से कोई निर्णय न लेकर उसे पैरोल देने से इन्कार कर रही है।

बादल ने पंजाब सरकार की सभी धनराशि जारी करने की भी मांग की, जो केंद्र द्वारा रोकी गई है, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, आयुष्मान भारत के साथ-साथ ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) की बकाया राशि भी शामिल है।

उन्होंने भारत माला परियोजना के तहत अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे द्वारा अधिग्रहित की जा रही भूमि के लिए उचित मुआवजा दिए जाने पर भी जोर दिया तथा उचित मुआवजे के अधिकार के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों पर अत्याचार करने के लिए आप सरकार की निंदा की।

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