हिसार में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रभु दयाल को निलंबित किए जाने पर आज प्रदेशभर के डॉक्टरों ने काले बिल्ले पहनकर अपनी नाराजगी जाहिर की।
हिसार में हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) के बैनर तले डॉक्टरों ने सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाह्य रोगी विभाग (OPD) सेवाओं के लिए कलम बंद हड़ताल की। डॉ. दयाल के निलंबन पर चर्चा के लिए 11 अप्रैल को HCMSA के राज्य संघ की एक बैठक हुई।
एचसीएमएसए के अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने कहा, “डॉ. प्रभु दयाल के अचानक और दुर्भाग्यपूर्ण निलंबन पर सभी सदस्यों ने नाराजगी जताई और दुखी हैं। वह अपने कर्तव्यों का ईमानदारी, निष्ठा और पूरी लगन से पालन कर रहे थे। उनके बेहतरीन काम के लिए सरकार ने उन्हें कई बार सम्मानित किया है। इतना कुछ होने के बावजूद, उन्हें 9 अप्रैल को आधी रात को बिना किसी प्रारंभिक जांच के निलंबित कर दिया गया और उनके निलंबन का कारण अभी भी पता नहीं चल पाया है।”
एचसीएमएसए ने डॉ. दयाल के मनमाने निलंबन के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल को पत्र लिखा है, जिसकी प्रतिलिपि स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है।
पत्र में कहा गया है कि उनके निलंबन से उन्हें व्यक्तिगत रूप से और पूरे एचसीएमएस कैडर को मानसिक आघात और बदनामी का सामना करना पड़ा है। इसमें कहा गया है, “…जिस तरह और परिस्थितियों में डॉ. प्रभु दयाल को बिना किसी प्रारंभिक जांच या स्पष्टीकरण के निलंबित किया गया, वह न केवल चिकित्सा बिरादरी के लिए मनोबल गिराने वाला है, बल्कि एक चिंताजनक मिसाल भी स्थापित करता है।”
पत्र में कहा गया है, “…इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई से पूरे कैडर में गलत संदेश गया है और ऐसी परिस्थितियों में पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के तहत कर्तव्यों का पालन करना बहुत कठिन होगा और इससे कार्यक्रम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।”
डॉ. दयाल को 2022 में हिसार और 2020 में जींद में पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत उनके काम के लिए प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। 2021 में उन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव राकेश गुप्ता द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योद्धा के रूप में सम्मानित किया गया। नवंबर 2022 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उनकी सेवाओं के लिए हरियाणा राजभवन में उन्हें सम्मानित किया।
एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के बाद हरियाणा सरकार ने 9 अप्रैल को इस घटना का खंडन किया था, लेकिन बाद में प्रेस बयान वापस ले लिया था। 10 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग ने प्रेस बयान में पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने के अपने प्रयासों को सूचीबद्ध करते हुए बताया कि हिसार के नोडल अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। लेकिन वहां भी कोई कारण नहीं बताया गया।