September 29, 2024
Haryana

हरियाणा: किसान संगठन ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को शामिल किया जाए

रोहतक, 16 जून राज्य के सात जिलों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत खरीफ फसलों के लिए एक बार फिर कोई बीमा कवर नहीं होने पर किसानों और अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के पदाधिकारियों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है।

पिछले साल भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा थ पिछले साल भी किसी कंपनी ने इन किसानों को बीमा कवर नहीं दिया था। राज्य सरकार ने बहुत देर से कदम उठाया और कई किसान लाभ से वंचित रह गए। इस साल भी सरकार ने किसानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। मास्टर बलबीर, एआईकेएस के प्रदेश अध्यक्ष एआईकेएस ने सरकार की निंदा करते हुए कहा है कि उसने एक बार फिर किसानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। उसने कहा कि सरकार को किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के माध्यम से बीमा कवर उपलब्ध कराना चाहिए।

आज यहां आयोजित एक बैठक में एआईकेएस पदाधिकारियों ने इन जिलों में किसानों को कोई फसल बीमा कवर उपलब्ध नहीं कराने के लिए सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की।

एआईकेएस के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर बलबीर ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, हिसार, जींद, सोनीपत, करनाल और अंबाला जिलों के किसानों को अपनी खरीफ फसलों के लिए फिर से कोई बीमा कवर नहीं मिलेगा। पिछले साल भी किसी कंपनी ने इन किसानों को बीमा कवर नहीं दिया था, जबकि राज्य सरकार ने बहुत देर से कदम उठाया और कई किसान लाभ से वंचित रह गए।”

एआईकेएस के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पीएमएफबीवाई (2016-17 और 2017-18) के शुरुआती वर्षों के दौरान निजी फर्मों द्वारा भारी मुनाफा कमाया गया था, लेकिन अब वे फसल नुकसान के खिलाफ कवर देने से इनकार कर रहे हैं।

उन्होंने निजी फर्मों को खुली छूट देने और किसी भी मामले में कोई जवाबदेही या पारदर्शिता तय न करने के लिए पीएमएफबीवाई की आलोचना की। उन्होंने नौकरशाही पर निजी फर्मों के साथ मिलीभगत करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि वे चाहते हैं कि फसल बीमा योजना केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा ही चलाई जाए।

किसान सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि यदि प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य कारण से उनकी फसल को नुकसान होता है तो बीमा कवर के अभाव में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

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