राज्य में कांग्रेस, इनेलो और जेजेपी सहित पूरे विपक्ष ने दलित आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की कथित आत्महत्या के मामले में तत्काल कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग की है, जिनकी मौत से पूरे राज्य में व्यापक आक्रोश फैल गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की। हुड्डा ने कहा, “किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए और किसी भी निर्दोष को नुकसान नहीं पहुँचाया जाना चाहिए। इस मामले में न्याय सुनिश्चित करना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति “पूरी तरह से बिगड़ चुकी है।” उन्होंने कहा, “इतने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की आत्महत्या एक बेहद दुखद घटना है। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। अगर आज इतना वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिकों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।”
सिरसा की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने इस घटना को न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी बताया, बल्कि इसे व्यवस्थागत विफलता का प्रतिबिंब बताया।
उन्होंने कहा, “यह न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि पूरी प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। अगर एक ईमानदार अधिकारी व्यवस्था की नाकामी के कारण इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो जाता है, तो यह बेहद चिंताजनक है।”
अंबाला के सांसद वरुण चौधरी ने चंडीगढ़ में अधिकारी के आवास पर जाकर उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा उन्हें सामुदायिक सहयोग का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा, “पूरा दलित समुदाय परिवार के साथ एकजुट है।” उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मांग की कि निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर को उनके पद से मुक्त किया जाए। चौधरी चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को एक ज्ञापन भी सौंपेंगे जिसमें मामले की न्यायिक जाँच की माँग की जाएगी।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मामले को ‘‘चौंकाने वाला, दुखद और बेहद हृदय विदारक’’ बताया।