पंचकुला, 17 जनवरी आज यहां इंद्रधनुष सभागार में पंचकुला पुस्तक मेले के दूसरे दिन “आसमान छूती बेटियां: म्हारी लाडो” विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने कहा कि बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले जैसे आयोजनों के माध्यम से सुरक्षित मातृत्व और स्वस्थ समाज के सपने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा राज्य पुलिस की प्राथमिकता है और इस संबंध में कई पहल की जा रही हैं।
विशिष्ट अतिथि महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रधान सचिव अमनीत पी कुमार ने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा से की थी। सफल महिलाओं की सराहना करते हुए उन्होंने फिल्म ‘दंगल’ का उल्लेख किया, जो राज्य की प्रसिद्ध महिला पहलवानों के जीवन पर आधारित थी।
पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह ने कहा कि लड़कियों की विवाह योग्य आयु बढ़ाना सरकार का एक सराहनीय कदम है और इस तरह की पहल से उनके सशक्तिकरण में काफी मदद मिलेगी।
इस अवसर पर डॉ. गगनदीप कौर द्वारा कोविड पर लिखी गई पुस्तक “जिक्रे हालात” का विमोचन किया गया।
एनसीईआरटी की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. संध्या सिंह ने महिला सशक्तिकरण के ऐतिहासिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए सावित्री बाई फुले और अन्य समाज सुधारकों के योगदान पर जोर दिया। पंजाब विश्वविद्यालय में भारतीय रंगमंच की विभागाध्यक्ष डॉ. नवदीप कौर ने महिला सशक्तिकरण में रंग मंच की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों पर रंगमंच का प्रयोग नाट्य विज्ञान में एक नये आयाम को जन्म देगा।
“पानीपत” और “संभाजी” जैसी कृतियों के लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार विश्वास पाटिल ने कहा कि इंटरनेट ने किताबों की दुनिया का विस्तार किया है। सूचना क्रांति के आगमन से पहले जो रचनाएँ केवल कुछ लोगों तक ही सीमित थीं, वे अब लाखों लोगों तक पहुँच रही हैं।
बिजली वितरण कंपनियों के चेयरमैन पीके दास ने कहा कि पुस्तक मेला शहर के लोगों के लिए एक बौद्धिक स्थल है. उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. साकेत कुमार ने कहा कि सूचना क्रांति के इस युग में भी किताबों का विकल्प ढूंढना मुश्किल है क्योंकि ये समाज के हर वर्ग के लिए ज्ञान का सस्ता और सुलभ साधन हैं।
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