स्वास्थ्य विभाग ने ठंड के मौसम के आगमन को ध्यान में रखते हुए ‘सांस’ कार्यक्रम के तहत निमोनिया से बचाव के लिए अभियान शुरू किया है। 12 नवंबर से शुरू हुआ यह अभियान 28 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसका मुख्य उद्देश्य गांव स्तर पर 0-5 साल के बच्चों को जागरूक करना है। हर बच्चे को इस जानलेवा बीमारी से बचाना है। कार्यक्रम की शुरुआत सिविल सर्जन डॉ. राजविंदर कौर ने सांस कार्यक्रम का पोस्टर जारी करके की।
निमोनिया को सफलतापूर्वक निष्क्रिय करने के लिए सामाजिक जागरूकता और कार्रवाई (SAANS) कार्यक्रम भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा बाल निमोनिया से होने वाली मौतों को कम करने के लिए शुरू की गई एक स्वास्थ्य पहल है।
सिविल सर्जन डॉ. राजविंदर कौर ने जिले के लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश देते हुए कहा कि देशभर में हर साल एक लाख से अधिक बच्चों की मौत का मुख्य कारण निमोनिया है।इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को निमोनिया होने के साथ ही कई बीमारियां होती हैं और अगर हम अपने और बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी सी जागरूकता बरतें, ध्यान दें तो बाल मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
सिविल सर्जन डॉ. राजविंदर कौर ने बताया कि सास कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग ब्लॉक स्तर से लेकर गांव स्तर तक जागरूकता पैदा करने का काम कर रहा है और टीमों द्वारा निमोनिया से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि मां के दूध में बच्चे को सभी पोषक तत्व मिलते हैं। पौष्टिक आहार मिलता है और बच्चे की बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है। उन्होंने कहा कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए उसे सही समय पर टीके लगवाना बहुत जरूरी है।
इस दौरान जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ मीनाक्षी ने धूम्रपान करने वाले लोगों से अपील की कि वे इससे बचें और बच्चों के नजदीक ऐसा बिल्कुल न करें। उन्होंने कहा कि खांसते या छींकते समय व्यक्ति को अपना मुंह रूमाल या टिशू पेपर से ढकना चाहिए ताकि छींकते समय गिरने वाली बूंदें किसी दूसरे व्यक्ति तक न पहुंचें।
इस अवसर पर सहायक सिविल सर्जन डॉ. सुषमा ठक्कर, डीएफपीओ डॉ. मनदीप कौर, डिप्टी मास मीडिया अधिकारी अंकुश भंडारी व नेहा भंडारी, सुपरडेंट परमवीर मोंगा व विकास कालरा मौजूद रहे।