महिलाओं के कल्याण के उद्देश्य से एक केंद्रित स्वास्थ्य पहल के तहत, रोहतक स्थित पंडित बीडी शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) के प्रशासन ने विशेष रूप से अपनी महिला डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, अन्य कर्मचारियों और एमबीबीएस तथा पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्राओं के लिए हीमोग्लोबिन जांच अभियान शुरू किया है।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कुंदन मित्तल ने बताया कि अस्पताल के संचालन में बाधा डाले बिना कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विभागवार स्क्रीनिंग कैंप लगाए जाएँगे। इस अभियान के तहत 3,000 से ज़्यादा महिला कर्मचारियों और छात्राओं की जाँच होने की उम्मीद है।
डॉ. मित्तल ने कहा कि यह पहल भारतीय महिलाओं में एनीमिया की बढ़ती व्यापकता को लेकर चिंताओं से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “मरीजों के इलाज के लिए ज़िम्मेदार लोगों को स्वयं चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ होना चाहिए। कम हीमोग्लोबिन जैसी कमियों का जल्द पता लगाना महत्वपूर्ण है। पहले चरण में, हम सभी महिला कर्मचारियों की जाँच करेंगे। दूसरे चरण में, इस अभियान का विस्तार एमबीबीएस और पैरामेडिकल छात्रों तक किया जाएगा।”
डॉ. मित्तल ने बताया कि 15-49 वर्ष की आयु की लगभग 57 प्रतिशत भारतीय महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं। गर्भवती महिलाओं में यह दर 52 प्रतिशत है, और 15 से 19 वर्ष की आयु की आधी से ज़्यादा किशोरियाँ भी इससे प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “ये आँकड़े नियमित निगरानी की तत्काल आवश्यकता को दर्शाते हैं। रक्त की कमी अक्सर कई स्वास्थ्य जटिलताओं की जड़ होती है।”