January 20, 2025
National

हेमंत सोरेन की रेगुलर बेल पिटीशन पर झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई (लीड-1)

Hearing on Hemant Soren’s regular bail petition in Jharkhand High Court on Tuesday (Lead-1)

रांची, 28 मई । जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के रेगुलर बेल पिटीशन पर झारखंड हाईकोर्ट 28 मई को सुनवाई करेगा। सोरेन के अधिवक्ता ने सोमवार को पिटीशन फाइल करते हुए जल्द सुनवाई के लिए अदालत को मेंशन किया था। इस आग्रह को स्वीकार कर लिया गया है।

याचिका जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की बेंच में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुई है। इस मामले में रांची की स्पेशल पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट ने 13 मई को हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

सोरेन की ओर से अब हाईकोर्ट में दाखिल जमानत याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ जिस 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जे का आरोप लगाते हुए ईडी ने कार्रवाई की है, उससे संबंधित एक भी दस्तावेज ईडी के पास नहीं हैं। यह झारखंड की सीएनटी (छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट) के तहत भुईंहरी नेचर की जमीन है, जो किसी भी हाल में किसी व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।

याचिका में यह भी कहा गया है कि जमीन पर अवैध कब्जे में पीएमएलए के तहत शेड्यूल ऑफेंस का केस नहीं बनता। इस मामले में सोरेन ने ईडी की कार्रवाई और गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

21-22 मई को सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि सोरेन की ओर से फाइल की गई पिटीशन में इस फैक्ट को छिपाया गया है कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की स्पेशल कोर्ट संज्ञान ले चुकी है। इसके बाद सोरेन की ओर से अदालत में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी थी।

बता दें कि बड़गाईं अंचल में 8.66 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। ईडी ने मामले में 30 मार्च को अदालत में हेमंत सोरेन के अलावा जमीन के मूल रैयत राजकुमार पाहन, हेमंत सोरेन के करीबी विनोद कुमार, राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद और हिलेरियस कच्छप के खिलाफ चार्जशीट भी फाइल की है।

इसमें बताया गया है कि हेमंत सोरेन ने न सिर्फ गैरकानूनी तरीके से जमीन हासिल की, बल्कि जांच शुरू होने पर साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश की।

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