पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने आज मानेसर भूमि मामले में मुकदमे की कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस फैसले से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके कार्यालय में काम करने वाले वरिष्ठ नौकरशाहों के खिलाफ मुकदमा फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।
कुछ पूर्व नौकरशाहों और बिल्डरों द्वारा दायर याचिकाओं के बाद दिसंबर 2020 से प्रभावी मुकदमे पर रोक भी हटा दी गई है, क्योंकि न्यायमूर्ति मंजरी नेहरू कौल ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है। विस्तृत फैसले की प्रति अभी उपलब्ध नहीं है।
मामले की पैरवी कर रही सीबीआई ने मुकदमे पर लगी रोक हटाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हुड्डा ने कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया था, लेकिन मामले में लगाई गई रोक से उनके केस को फायदा हुआ।
फरवरी 2018 में दायर अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने हुड्डा के साथ 33 अन्य लोगों को नामजद किया था, जिनमें उनके प्रधान सचिव के रूप में काम करने वाले तीन पूर्व नौकरशाह, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अधिकारी और कई रियल एस्टेट कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल थे।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम जिले के मानेसर और आस-पास के गांवों में किसानों से करीब 400 एकड़ जमीन “सार्वजनिक उद्देश्य” के नाम पर अधिग्रहित की गई, लेकिन बाद में बिल्डरों और डेवलपर्स को कम कीमत पर लाइसेंस दे दिया गया। सीबीआई के अनुसार, इससे किसानों को करीब 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।