हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इल्मा अफरोज को बद्दी का पुलिस अधीक्षक पद पर तत्काल तैनात करने के लिए दायर जनहित याचिका को 28 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में लाया गया कि न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की समन्वय पीठ ने 23 अक्टूबर 2024 को एक विस्तृत आदेश पारित किया था, जिसमें कुछ निर्देश जारी किए गए थे। अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल कर दी गई है।
अदालत को यह भी बताया गया कि 9 सितम्बर, 2024 को निर्देश जारी किए गए थे कि अधिकारी अर्थात पुलिस अधीक्षक सुश्री इल्मा अफरोज को पुलिस जिला, बद्दी से स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने आदेश दिया कि “ऐसी परिस्थितियों में, हम यह उचित समझते हैं कि मामले की सुनवाई 28 फरवरी को इसी खंडपीठ द्वारा की जाए।”
पिछली सुनवाई पर राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि राज्य ने इस तथ्य के संबंध में प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ एक आवेदन दायर किया है कि संबंधित अधिकारी ने स्वयं बद्दी से स्थानांतरित होने का विकल्प चुना था।
अपने पहले के आदेश में अदालत ने गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर आईपीएस अधिकारी के स्थानांतरण के मुद्दे पर उनका जवाब मांगा था।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले स्थानीय विधायक के साथ कथित टकराव के बाद एसपी बद्दी इल्मा अफरोज लंबी छुट्टी पर चली गई थीं। वह 16 दिसंबर को पुलिस मुख्यालय में वापस लौटी थीं और एसपी बद्दी के रूप में ड्यूटी पर लौटने के आदेशों का इंतजार कर रही हैं।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से इस मामले में उचित आदेश जारी करने का आग्रह करते हुए कहा कि इल्मा अफरोज की बद्दी में तैनाती से आम जनता खुद को सुरक्षित महसूस करेगी और इलाके में सक्रिय ड्रग माफियाओं और खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी। याचिकाकर्ता ने कहा कि जब से इल्मा अफरोज एसपी बद्दी के पद पर तैनात हुई हैं, तब से उन्होंने कानून का शासन लागू किया है और एनजीटी द्वारा जारी निर्देशों के साथ-साथ हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा पारित सभी आदेशों को लागू किया है।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि 9 सितंबर 2024 को एक आपराधिक मामले में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के मद्देनजर एसपी इल्मा अफरोज को कोर्ट की अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया कि एसपी को छुट्टी पर जाने के लिए मजबूर किया गया ताकि ड्रग और खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो और व्यापक जनहित में उन्हें वापस एसपी बद्दी के पद पर तैनात किया जाना चाहिए।