पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद बरही औद्योगिक क्षेत्र के 24 उद्योगपति सकते में हैं। न्यायालय ने मामले में आगे की कार्यवाही हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण (एचडब्ल्यूआरए) पर छोड़ दी है।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करने और अवैध रूप से भूजल निकालने के लिए एचएसआईआईडीसी औद्योगिक क्षेत्र में 24 इकाइयों पर 157.19 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा (ईसी) लगाया था। यह मुआवजा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर लगाया गया था।
दिल्ली के पर्यावरणविद वरुण गुलाटी ने मानदंडों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया था और 2020 में एनजीटी में मामला दायर किया था। उन्होंने दावा किया कि इकाइयां खुले नाले नंबर 6 में अपशिष्टों का निर्वहन कर रही थीं, जो यमुना में खाली हो जाता था। हालाँकि, HSPCB और HWRA सहित वैधानिक अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई थी।
शिकायत के बाद एनजीटी ने एचएसपीसीबी से रिपोर्ट मांगी, जिसके बाद अवैध रूप से पानी निकालने वाली इकाइयों को नोटिस जारी किए गए। प्रदूषण बोर्ड ने ईसी की गणना 96 करोड़ रुपये की थी, लेकिन बाद में सोनीपत के डिप्टी कमिश्नर ने इसे घटाकर 24 लाख रुपये कर दिया।
शिकायतकर्ता द्वारा पुनः एनजीटी का दरवाजा खटखटाने तथा उपायुक्त के आदेशों के विरुद्ध 2022 में नई अपील दायर करने के बाद, न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया कि ई.सी. को बहाल किया जाना चाहिए तथा मानदंडों के अनुसार पुनर्गणना की जानी चाहिए।
एनजीटी के निर्देशों के बाद सक्षम अधिकारियों ने पर्यावरण मंजूरी की पुनर्गणना की और इसे बढ़ाकर 157.19 करोड़ रुपये कर दिया। औद्योगिक इकाइयों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया, जिसके बाद वे हाईकोर्ट चले गए।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को वैकल्पिक उपाय अपनाने होंगे। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है और सक्षम प्राधिकारी मामले पर निर्णय लेने के लिए आगे बढ़ेंगे।
Leave feedback about this