November 24, 2024
National

लोन, इंश्योरेंस, नौकरी के नाम पर सबसे ज्यादा धोखाधड़ी, 6 सालों में पकड़े गए 250 से ज्यादा फर्जी कॉल सेंटर

नोएडा, 20 नवंबर । नोएडा पुलिस ने 17 नवंबर को यूएसए के नागरिकों से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर ठगी करने वाले 14 लोगों को गिरफ्तार किया। नोएडा के थाना फेज-1 में पुलिस ने आरोपियों को सेक्टर-2 स्थित बी-43 में एक कॉल सेंटर से गिरफ्तार किया। यहीं से आरोपी यूएसए के लोगों को इंटरनेट के जरिए कॉल करते थे। उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी दिलाने के नाम पर ठगी करते थे।

पुलिस ने इनके पास से काफी बड़ी संख्या में डाटा शीट स्क्रिप्ट बरामद की है। एडीसीपी शक्ति अवस्थी ने बताया कि गैंग में शामिल लोग इंटरनेट कॉल करते थे और कॉल करते समय अपने नाम बदल लेते थे। वहां के लोगों को स्क्रिप्ट के अनुसार हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी के बारे में बताते थे। यदि कोई तैयार हो जाता था तो उस कॉल को हार्वर्ड बिजनेस सर्विसेज आईएनसी कंपनी को ट्रांसफर कर देते थे। जिसके एवज में इनको 30 से 35 डालर प्रति व्यक्ति मिलता था।

उन्होंने बताया कि सूचना के आधार पर छापा मारकर इनको गिरफ्तार किया गया। पहले भी यूएसए के नागरिकों को ठगी का शिकार बनाने वाले कई कॉल सेंटर का पर्दाफ़ाश करते हुए लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस इनका आपराधिक रिकार्ड खंगाल रही है।

इस कॉल सेंटर में काम करने वाले अधिकतर लोग दिल्ली के अशोक नगर के रहने वाले हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब पुलिस ने इस तरीके के कॉल सेंटर चलाने वालों का भंडाफोड़ करते हुए लोगों को गिरफ्तार किया है। पिछले छह साल के आंकड़ों की अगर बात करें तो अब तक लगभग 250 से ज्यादा कॉल सेंटर पकड़े जा चुके हैं।

*साइबर अपराधियों का नोएडा बन चुका है गढ़*

देश के किसी कोने में आपके पास नौकरी, बीमा, लोन, ट्रेडिंग कंपनी या कूरियर सर्विस के नाम पर फोन आए तो बिना वेरिफाइड किए इनके झांसे में न आएं। ये फ्रॉड हो सकता है। इनके पास आपका डेटा है, जिससे आपको झांसे में लेते हैं और लाखों की ठगी करते हैं। सावधानी ही इसका बचाव है। ऐसे फोन कॉल्स से सावधान और सतर्क रहें।

नोएडा इसका गढ़ बन गया है। यहां आए दिन फर्जी कॉल सेंटर पकड़े जा रहे हैं। जिनका काम लोगों को बातों में फंसाकर उनकी कमाई को हड़पना है। इसमें देश से लेकर विदेश तक में ठगी हो रही है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पिछले छह सालों में ऐसे करीब 255 से ज्यादा कॉल सेंटर व टेलीफोन एक्सचेंज पकड़े जा चुके हैं, जो नौकरी, बीमा, साइबर मदद से लेकर हर तरीके के नाम पर ठगी कर रहे हैं। इनमें से 500 से अधिक फर्जी काल सेंटर के मालिक, मैनेजर और कर्मचारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

इस तरह के कॉल सेंटर का संचालन करने वालों में कोई न कोई अपराधी इंश्योरेंस या इस तरह की कंपनी में काम कर चुका होता है। उसके पास ऐसे लोगों का डेटा होता है, जो या तो लोन के लिए अप्लाई करते हैं या जिनका लोन लैप्स हो जाता है या फिर किस्त नहीं चुकाने पर उन पर पेनाल्टी लगती है।

डेटा मिलते ही ये पहले फोन कर अपने आप को बैंक कर्मी या अधिकारी बताते हैं। ऐसा इसलिए कि लोग उनकी बातों को सुनें और झांसे में आ जाएं।

इसके बाद चोरी किए गए डेटा से वे आपको आपकी जानकारी देते हैं कि आपने लोन के लिए कब अप्लाई किया, लोन किस्त जमा नहीं की और लैप्स हो गया या आपने अप्लाई नहीं किया और लोन अप्रूव नहीं हुआ। झांसे में आने के बाद ये आपसे आपकी ईमेल, आधार और पैन कार्ड का नंबर या फोटो कॉपी एक फर्जी ईमेल पर मांगते हैं। इसके बाद कागजी दस्तावेज पूरा करने, पॉलिसी की किस्त, लोन एडवांस किस्त, आरटीजीएस चार्ज, लोन अप्रूव कराने के लिए फाइल चार्ज, प्रोसेसिंग फीस व अन्य खर्चे बताकर उनसे पैसे मांगते हैं।

आमतौर पर यह एक फाइलिंग चार्ज की तरह लगता है। इसके बाद एक फर्जी लोन एप्रूव लेटर तैयार करके आपको ईमेल और वॉट्सऐप पर भेजते हैं। जिसे आप ऑरिजनल समझकर उनके बताए गए खाते में पैसा ट्रांसफर कर देते हैं। ये अकाउंट भी फर्जी और खरीदे गए होते हैं। पैसा ट्रांसफर होते ही इन्हीं के लोग पैसा विड्राल कर आपस में बांट लेते हैं। डेटा के जरिए इनको आपका मोबाइल नंबर मिलता है। इसके अलावा फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया साइट पर ये लोग अपना प्रचार करते हैं। जिसमें अपना नंबर भी शेयर करते हैं। वहां लुभावने ऑफर देते हैं।

*नोएडा के कौन-कौन सेक्टर साइबर अपराध के गढ़*

नोएडा कमिश्नरेट बनने और उससे बाद तक नोएडा में सबसे ज्यादा फर्जी कॉल सेंटर सेक्टर-1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 10, 15, 16, 18, 27, 41, 45, 49, 57, 59, 60, 62, 63, 64, 65, 67, 80,105,110,125,126 में पकड़े गए हैं। यहीं से सबसे ज्यादा गिरफ्तारी भी हुई है। लेकिन, अक्सर देखा गया है कि जो लोग इन मामलों में पकड़े जाते हैं, वो जमानत पर बाहर आकर दोबारा से स्थान बदलकर ठगी के काम में जुट जाते हैं।

*सबसे ज्यादा किन नामों पर होती है ठगी*

सबसे ज्यादा साइबर ठगी की बात की जाए तो वह नौकरी दिलाने, सस्ती दरों पर लोन, बीमा कराने और लैप्स बीमा, कंप्यूटर में पॉप अप वायरस ठीक कराने, सड़क हादसे में नाम न आने, चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर विदेशी नागरिकों से जालसाज़ी, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज खोलकर विदेश से कम दर पर बातचीत, लकी ड्रॉ में कार गिफ्ट के नाम पर और सबसे ज्यादा खाड़ी देशों में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगार युवकों को फंसाया जाता है।

*कुछ बड़े मामले जो हाल ही में आए सामने*

हाल ही में नोएडा पुलिस ने एक सेंटर का भंडाफोड़ किया था। ये लोग अमेरिका के लोगों के साथ ठगी करते थे। इसमें 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया। शातिर लोगों को उनके सोशल सिक्योरिटी नंबर से उनके आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का डर दिखाकर गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो करेंसी के जरिए ठगी करते थे। ये लोग विसीडियल सॉफ्टवेयर और एक्सलाईट/आईबीम डायलर का प्रयोग करके आईवीआर के माध्यम से डार्क वेब से अमिरिकी व्यक्तियों का डाटा लेते थे।

थाना फेज-1 में एक कॉल सेंटर पकड़ा गया। इसमें 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ये डेटा चोरी कर लोगों के साथ ठगी करते थे। इसमें छह युवतियां शामिल थी। ये लोन लैप्स, लोन दिलाने के नाम पर ठगी करते थे।

थाना सेक्टर-63 पुलिस ने फाइनेंस हब कंपनी संचालित कर फर्जी लोन दिलाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपए की ठगी करने वाले 6 लोगों को गिरफ्तार किया। सभी लोन अप्रूव कराने के नाम पर ठगी करते थे।

थाना सेक्टर-63 नोएडा पुलिस ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस, फाइनेंस लोन हब व अन्य बैंको से लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले कॉल सेंटर को पकड़ा।

एसटीएफ ने फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज पकड़ा है। ये लोग इंटरनेट के जरिए वीओआईपी कॉल्स को लोकल नेटवर्क पर बदलकर बातचीत करवाते थे।

*कैसे होगी रोकथाम, क्या कहते हैं अधिकारी*

साइबर क्राइम थाना प्रभारी रीता यादव के मुताबिक पकड़े गए साइबर अपराधियों का डेटा बेस तैयार किया जा रहा है। उनके फिंगर प्रिंट लेकर उनका पूरा डेटा सेव किया जा रहा है। यदि वो दोबारा क्राइम करते हैं तो आसानी से इनका डेटा मिल सके और इनको पकड़ा जा सके। साइबर फ्रॉड में शामिल 1,000 से अधिक मोबाइल नंबर यूपी साइबर क्राइम पुलिस के रडार पर हैं।

हाल के कुछ महीनों में इन नंबरों का इस्तेमाल साइबर क्राइम के लिए किया गया है। इनकी जांच की जा रही है। सक्रिय सिम को साइबर क्राइम पुलिस बंद कराने की तैयारी में है। जांच में अभी सक्रिय सिम की संख्या बढ़ सकती है, जिससे साइबर क्राइम किया जा रहा है। इनमें से अधिकतर नंबर जामताड़ा, मेवात, भरतपुर, बिहार के कुछ जिलों के हैं।

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