जम्मू-कश्मीर के बसोहली में हाल ही में संपन्न राष्ट्रीय लघु चित्रकला शिविर के बाद ललित कला अकादमी के खिलाफ उपेक्षा के गंभीर आरोप सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ कलाकारों, विशेषकर कांगड़ा और चम्बा जिलों के कलाकारों ने कहा कि 30 सितम्बर को संपन्न हुए इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम के दौरान उन्हें नजरअंदाज किया गया।
शिल्प परिषद के महासचिव भुवनेश्वर शर्मा और कई वरिष्ठ चित्रकारों ने अकादमी द्वारा प्रतिष्ठित पहाड़ी कलाकारों की निरंतर उपेक्षा पर गहरी निराशा व्यक्त की। शर्मा ने कहा, “पद्मश्री, कालिदास पुरस्कार और अन्य राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने के बावजूद, कई वरिष्ठ कलाकारों को न तो आमंत्रित किया गया और न ही उन्हें प्रतिनिधित्व दिया गया।” उन्होंने इस बहिष्कार को एक “हास्यास्पद” चूक बताया।
शिल्प परिषद के अनुसार, उपेक्षा का यह सिलसिला एक दशक से भी ज़्यादा समय से जारी है। एक वरिष्ठ कलाकार ने अकादमी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा, “प्रतिभाशाली स्थानीय कलाकारों को लगातार कम-ज्ञात नामों द्वारा दबा दिया जाता है जो व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं।”
शिल्प परिषद ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री से औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज कराई है और चयन प्रक्रिया की जाँच की माँग की है। वरिष्ठ कलाकारों ने कहा कि इस तरह लगातार हाशिए पर धकेले जाने से न केवल स्थानीय प्रतिभाओं का मनोबल गिरा है, बल्कि पारंपरिक पहाड़ी लघु चित्रकला के संरक्षण को भी खतरा है। अकादमी ने अभी तक इन दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।