संपन्न वर्ग को दी जा रही सब्सिडी में कटौती की दिशा में एक और कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज घोषणा की कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर प्रत्येक बिजली उपभोक्ता को दी जा रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली सब्सिडी को स्वेच्छा से छोड़ने का निर्णय लिया है।
उन्होंने आज यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “इस बिजली सब्सिडी को छोड़ना वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं। मुझे लगता है कि जो लोग भुगतान करने में सक्षम हैं, उन्हें स्वेच्छा से 125 यूनिट मुफ्त बिजली सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए, ताकि गरीब और पात्र लोगों को इसका लाभ मिल सके।” उन्होंने संपन्न लोगों से अपील की कि वे स्वेच्छा से बिजली सब्सिडी छोड़ कर राज्य के विकास में योगदान दें, जिसका हकदार केवल जरूरतमंद लोग हैं।
सुखू ने कहा कि मुफ़्त बिजली को स्वैच्छिक रूप से छोड़ने का परफ़ॉर्मा एचपीएसईबी की वेबसाइट पर उपलब्ध है और नंबर पर कॉल करके या नज़दीकी बिजली बोर्ड दफ़्तर में परफ़ॉर्मा जमा करके भी विकल्प दिया जा सकता है। उन्होंने बताया, “मेरे नाम पर अलग-अलग जगहों पर पाँच बिजली मीटर हैं जहाँ मेरे घर हैं। इस तरह से मैं मुख्यमंत्री होने के बावजूद 625 यूनिट मुफ़्त बिजली का लाभ उठा रहा हूँ जो सही नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (एचपीएसईबी) के पास उपलब्ध तिथि के अनुसार ऐसे लोग हैं जिनके नाम पर कई बिजली मीटर हैं। मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों को सभी लाभ मिल रहे हैं, इसलिए सभी ने स्वेच्छा से अपने नाम के प्रत्येक मीटर पर इस सब्सिडी को छोड़ने पर सहमति व्यक्त की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली सब्सिडी को स्वेच्छा से छोड़ने से एचपीएसईबी को करीब 200 करोड़ रुपये की बचत होगी। उन्होंने कहा, “एचपीएसईबी में 29,000 सेवानिवृत्त और 14,000 कार्यरत कर्मचारी हैं और हर महीने उनके वेतन और पेंशन पर 200 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। बिजली सब्सिडी कम करके हम बोर्ड की वित्तीय सेहत को बेहतर बना पाएंगे।”
उन्होंने कहा, “हिमाचल गरीब राज्य नहीं है, क्योंकि यहां के लोग अमीर हैं, लेकिन राज्य सरकार गरीब है।” उन्होंने कहा, “हममें से हर एक व्यक्ति जो अपने बिलों का भुगतान करने में सक्षम है, उसकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह सरकार द्वारा दी जा रही बिजली सब्सिडी को छोड़ दे, ताकि केवल जरूरतमंद और पात्र लोगों को ही यह मिल सके।”
उन्होंने कहा, ‘‘जब 1971 में हिमाचल अस्तित्व में आया तो राज्य सरकार ने लोगों को सभी सब्सिडी दी लेकिन अब जो लोग संपन्न हो गए हैं उन्हें स्वेच्छा से ये सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि आयकरदाताओं को दी जा रही बिजली सब्सिडी वापस लेने पर चर्चा हुई थी लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
सुखू ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले दो सालों में पुराने कर्ज चुकाने और विकास कार्यों के लिए 28,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। उन्होंने कहा, “हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये सभी कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके लिए हम राज्य के हर नागरिक का सहयोग चाहते हैं।” उन्होंने कहा, “हम 22,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाने में भी कामयाब रहे, जिससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिली है।”