शिमला, 23 जून भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) 12 जुलाई को केंद्र सरकार की “मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, कर्मचारी विरोधी और जनविरोधी नीतियों” के खिलाफ राज्य के सभी जिला और ब्लॉक मुख्यालयों में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा।
सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में आज यहां हुई सीटू की राज्य कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में उन्होंने कहा कि सीटू प्रदर्शनों के माध्यम से श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये घोषित करने, चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, अग्निवीर, आयुधवीर, कोयलावीर जैसी परियोजनाओं को रद्द करने के अलावा अन्य निश्चित अवधि रोजगार योजनाओं, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना (ईडीएलआई) जैसे लाभों को बंद करने, अनुबंध, अंशकालिक, बहुउद्देश्यीय, बहुकार्य, अस्थायी, आकस्मिक, निश्चित अवधि और आउटसोर्सिंग प्रणाली सहित सभी प्रकार के श्रमिकों को नियमित करने आदि मांगों को उठाएगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र की “नवउदारवादी और पूंजीवाद समर्थक” नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी और असमानता बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “बेरोजगारी और महंगाई भी बढ़ रही है और पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं।”
मेहरा ने आगे कहा कि सार्वजनिक उद्यमों में निजीकरण और विनिवेश, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, अग्निपथ योजना और कई अन्य मुद्दों पर मोदी सरकार की “मजदूर विरोधी नीतियों” का पर्दाफाश किया जाएगा।