मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में बताया कि राज्य सरकार ने कांगड़ा ज़िले में पर्यटन को मज़बूत करने पर विशेष ध्यान देते हुए गरली-परागपुर और कालेश्वर महादेव मंदिर के लिए 25 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को एक व्यापक रणनीति के तहत क्रियान्वित किया जाएगा जिसका उद्देश्य क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को सुरक्षित रखते हुए पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाना है।
सुखुसैद परागपुर को दिसंबर 1997 में और उसके बाद गरली को 2002 में विरासत गाँव घोषित किया गया था। इनके विकास के लिए पहले ही केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा जा चुका था, जिसके तहत 2006 तक संरक्षण पहलों पर 52 लाख रुपये खर्च किए जा चुके थे। उन्होंने आगे बताया कि इस क्षेत्र में कई विरासत संरचनाएँ अभी भी निजी स्वामित्व में हैं।
कांगड़ा को हिमाचल प्रदेश की पर्यटन राजधानी घोषित किए जाने की बात दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गरली-परागपुर का विकास अब राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
इससे पहले, जसवां-परागपुर से भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश कर सरकार से दोनों विरासत गांवों में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने का आग्रह किया। इन गांवों के स्थापत्य, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने विरासत गृहों के निर्माण, धर्मशाला-ऊना मार्ग पर बेहतर संपर्क, स्ट्रीट लाइटें लगाने, पार्किंग स्थल और सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण की मांग की।

