ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में हिमाचल प्रदेश नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों के नेतृत्व ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव है। इस विधेयक में महापौरों और उप-महापौरों के कार्यकाल को वर्तमान ढाई वर्ष से बढ़ाकर पूरे पाँच वर्ष करने का प्रावधान है, जिससे उनका कार्यकाल नगर निगम के कार्यकाल के बराबर हो जाएगा।
यह विधेयक हिमाचल प्रदेश नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को भी औपचारिक रूप से निरस्त करता है, जिसने अध्यादेश के माध्यम से अस्थायी आधार पर इसी तरह के प्रावधान लागू किए थे। यह संशोधन हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 36 को संशोधित करने पर केंद्रित है, जिसमें मध्यावधि चुनावों की आवश्यकता को एक ऐसे प्रावधान से प्रतिस्थापित किया गया है जो निर्वाचित नेताओं को निगम के पूरे कार्यकाल के दौरान निर्बाध रूप से सेवा करने की अनुमति देता है।
यदि महापौर या उप-महापौर का पद किसी की मृत्यु, त्यागपत्र या अविश्वास प्रस्ताव के कारण रिक्त हो जाता है, तो एक महीने के भीतर नए सिरे से चुनाव कराना अनिवार्य होगा। नवनिर्वाचित पदाधिकारी केवल मूल कार्यकाल के शेष समय तक ही कार्य करेगा।
सरकार का तर्क है कि पिछली अर्ध-अवधि व्यवस्था ने दीर्घकालिक नियोजन में बाधा डाली और परियोजना कार्यान्वयन को बाधित किया। सरकार का तर्क है कि पाँच साल का कार्यकाल निरंतरता, मज़बूत शहरी प्रशासन और विकास पहलों के अधिक प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगा।

