अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने निर्देश दिया कि 1 और 2 जून को सभी प्रदेशों में राज्य स्तरीय चिंतन शिविर किए जाए। इनमें उदयपुर में संपन्न तीन दिवसीय चिंतन शिविर में पार्टी द्वारा लिए गए निर्णयों व घोषणाओं को कार्यान्वित करने के साथ साथ प्रदेश में पार्टी के भावी कार्यक्रमों पर भी चर्चा की जाए। परन्तु हिमाचल प्रदेश में शायद कांग्रेस को इस चिंतन की जरूरत महसूस नहीं हो रही। वो भी ऐसे वक्त में जब पार्टी को चार से पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव लड़ना है और पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद पार्टी के कार्यकर्ता लंबे समय तक बैक-फुट पर रहे हैं। हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने हिमाचल कांग्रेस राज्य स्तरीय चिंतन शिविर से बेरूख होने पर अपना तर्क देते हुए कहा कि कि प्रदेश में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसकी व्यस्तता के कारण AICC से भी चिंतन शिविर के प्रोग्राम में बदलाव का आग्रह किया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ राजीव भवन शिमला में बैठक तय हुई है। पार्टी हाईकमान के हर आदेशों का पालन करेगी।
कांग्रेस को राष्ट्रीय चिंतन शिविर का कोई फायदा मिलने वाला नहीं है – प्रशांत किशोर
रणनीतिकार प्रशांत किशोर कह चुके हैं कि कांग्रेस को राष्ट्रीय चिंतन शिविर का कोई फायदा मिलने वाला नहीं है। उनकी भविष्यवाणी सच होगी या गलत, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में PK की कुछ बातें अभी से सच साबित होती दिख रही हैं।
Leave feedback about this