यहां से 4 किलोमीटर दूर मोहल में स्थित कैम्ब्रिज इंटरनेशनल स्कूल (सीआईएस) ने हिमाचल दिवस, बैसाखी और अंबेडकर जयंती मनाने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया। स्कूल परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाया गया।
उत्सव की शुरुआत आध्यात्मिक प्रार्थना के साथ हुई। विद्यार्थियों ने हिमाचल दिवस के महत्व पर केंद्रित भावपूर्ण भाषणों और कविताओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. भीम राव अंबेडकर के योगदान को सम्मानित करते हुए प्रेरणादायक भाषणों ने उत्सव को और भी प्रेरक बना दिया।
किंडरगार्टन के छात्रों ने बैसाखी त्योहार पर आधारित अपने पारंपरिक नृत्यों से दर्शकों को आनंदित किया, जिससे कार्यक्रम में खुशी और जीवंतता का माहौल बन गया। कक्षा एक और दो के नन्हे छात्रों ने ‘कलर स्प्लैश’ गतिविधि में भाग लिया, जहाँ उन्होंने हिमाचली पारंपरिक बॉर्डर डिज़ाइनों को रंगकर अपने कलात्मक कौशल का प्रदर्शन किया।
इस कार्यक्रम में कक्षा तीन से पांच तक के विद्यार्थियों द्वारा आयोजित ‘हिमाचल के स्वाद’ खाद्य उत्सव के साथ उपस्थित लोगों को लजीज यात्रा पर ले जाया गया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के पारंपरिक हिमाचली व्यंजन और क्षेत्रीय व्यंजन प्रस्तुत किए। कक्षा छह और सात के विद्यार्थियों द्वारा ‘स्वदेशी शिल्प और खाद्यान्न’ प्रदर्शनी ने क्षेत्र की स्थानीय शिल्पकला और कृषि विरासत को उजागर किया।
कक्षा आठ के विद्यार्थियों ने ‘हिमाचल प्रदेश की कालातीत संरचना’ प्रदर्शनी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें क्षेत्र के प्रतिष्ठित स्मारकों के विस्तृत मॉडल, पेंटिंग और रेखाचित्र शामिल थे। कक्षा नौ के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत ‘हिमाचल की जड़ें और लय’ कार्यक्रम पारंपरिक हिमाचली वाद्ययंत्रों की मधुर धुनों से गूंज उठा। इसके बाद कक्षा दस के विद्यार्थियों ने ‘हिमाचल के कालातीत नृत्यों का जश्न’ कार्यक्रम पेश किया, जिसमें विभिन्न पारंपरिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन किया गया।
कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं के लिए एक अंतर-सदनीय प्रश्नोत्तरी आयोजित की गई, जिसमें प्रतिभागियों ने विचारोत्तेजक प्रश्नों और उत्तरों के माध्यम से हिमाचल दिवस, बैसाखी और अंबेडकर जयंती पर अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात सामाजिक हस्ती श्रद्धा शर्मा उपस्थित थीं। उन्होंने बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई प्रस्तुतियों की सराहना की तथा छात्रों को इन ऐतिहासिक हस्तियों और घटनाओं का महत्व बताने में शिक्षकों के समर्पण की सराहना की।
प्रिंसिपल रैना वर्मा ने अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य न केवल छात्रों को अकादमिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उन्हें उनकी जड़ों से जोड़ना भी है।
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