केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने आज कहा कि किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता क्षेत्र का विकास और विस्तार अनिवार्य है। उन्होंने यहाँ हिमाचल प्रदेश सहकारिता विभाग की एक बैठक में सहकारिता क्षेत्र को मज़बूत करने के उद्देश्य से केंद्र द्वारा प्रायोजित विभिन्न पहलों की समीक्षा करते हुए हिमाचल प्रदेश को सहकारिता के लिए एक आदर्श राज्य बताया। इस अवसर पर उन्होंने 121 ई-पैक्स का शुभारंभ किया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के एकमात्र राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय, त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के अंतर्गत राज्य में विभिन्न सहकारी पाठ्यक्रम शुरू किए जाएँगे। उन्होंने आगे कहा, “राज्य ने इस संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। फीस को लेकर कुछ समस्याएँ हैं, जिनका समाधान किया जाएगा।”
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि राज्य में सहकारिता के विस्तार हेतु केंद्रीय सहकारी नीतियों के अनुरूप हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी नीति-2025 का प्रारूप तैयार किया गया है। उन्होंने गुर्जर से इस क्षेत्र में राज्य को उदार सहयोग देने का अनुरोध किया और समितियों के कम्प्यूटरीकरण हेतु धनराशि तथा हिमफेड एवं मिल्कफेड के डिजिटलीकरण हेतु सहयोग मांगा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से ऊना जिले में हिमकैप्स लॉ कॉलेज के लिए वित्तीय सहायता का आग्रह किया। गुर्जर ने अग्निहोत्री को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार सहकारिता के क्षेत्र में राज्य को हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
अग्निहोत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 20 लाख लोग सहकारिता से जुड़े हैं और यहाँ की सहकारी समितियाँ महिला सशक्तिकरण में मिसाल कायम कर रही हैं। वर्तमान में, 2,287 प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ ग्रामीण वित्तीय समावेशन की दिशा में काम कर रही हैं। इस दिशा में, छह नई बहुउद्देशीय समितियों का गठन किया गया है। 76 समितियाँ मछुआरा समुदाय की सेवा कर रही हैं, 971 डेयरी समितियाँ दुग्ध उत्पादन और वितरण में लगी हैं, 441 समितियाँ बचत और ऋण सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं और 386 प्राथमिक विपणन सहकारी समितियाँ किसानों को उनकी उपज बेचने में मदद कर रही हैं।
Leave feedback about this