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हिमाचल सरकार की स्टार्ट-अप योजना रोजगार देने में विफल

Himachal government's start-up scheme fails to provide employment

सोलन, 29 अगस्त राज्य सरकार की बहुप्रचारित राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना शुरू होने के एक साल बाद भी युवाओं को लाभ पहुंचाने में विफल रही है। राज्य सरकार ने विधानसभा में चल रहे सत्र में उठाए गए एक सवाल में यह खुलासा किया।

राज्य सरकार के जवाब के अनुसार, स्टार्ट-अप योजना के तहत 121 युवाओं ने आवेदन किया है और इसके लिए 16 अगस्त को 13 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई थी। हालांकि पात्र युवाओं ने खुद को पंजीकृत किया था, लेकिन योजना शुरू होने के लगभग एक साल बाद भी उन्हें अपेक्षित वित्तीय सब्सिडी नहीं मिली है।

युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने 2023 में 680 करोड़ रुपये की इस स्टार्ट-अप योजना को शुरू किया था। इस योजना के तहत ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही थी, जिन्हें राज्य सरकार के कार्यालयों से जोड़ा जाना था। सरकार को पहले चरण में 500 ई-टैक्सी परमिट जारी करने थे।

इस योजना के तहत बैंकों को युवाओं को रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना था, ताकि उनका वित्तीय बोझ कम हो सके। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि ई-टैक्सी के लिए ऋण पर सरकार गारंटी देगी। लेकिन, जांच से पता चला है कि बैंक केवल राज्य सरकार के आग्रह पर इन उपक्रमों को वित्तपोषित करने में अनिच्छुक थे।

जहां बैंकों ने अपनी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में वृद्धि के डर से ऋण देने के लिए बैंकिंग मानदंडों का पालन करना पसंद किया, वहीं उद्योग विभाग के अधिकारियों का मानना ​​है कि राज्य सरकार को इन उपक्रमों को वित्तपोषित करने के लिए सहकारी बैंकों को कुछ धनराशि प्रदान करनी चाहिए।

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