N1Live Himachal हिमाचल हाईकोर्ट ने स्कूल में बेटे की शादी आयोजित करने पर शिक्षक को फटकार लगाई
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हिमाचल हाईकोर्ट ने स्कूल में बेटे की शादी आयोजित करने पर शिक्षक को फटकार लगाई

Himachal High Court reprimands teacher for organizing son's marriage in school

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हमीरपुर के एक सरकारी स्कूल परिसर में अपने बेटे का विवाह समारोह आयोजित करने पर एक शिक्षिका को फटकार लगाई है और उसे परिसर में दो वाटर प्यूरीफायर लगाने का निर्देश दिया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 5 नवंबर 2021 को सुलगावान गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय जाहू कलां में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानाध्यापक और स्टाफ भी मौजूद थे।

स्थानीय निवासी शशिकांत ने इस मामले की शिकायत स्कूल प्रशासन और ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा विभाग को ईमेल के माध्यम से की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी।

अधिकारियों ने बताया कि जब 8 नवंबर को ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (बीईईओ) जांच के लिए पहुंचे तो शिकायत सही पाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सीएम हेल्पलाइन पर अस्पष्ट जवाब मिलने के बाद शशिकांत ने आरटीआई आवेदन दाखिल कर तथ्य जुटाए और अप्रैल 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 2012 के हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2012 में घोषणा की थी कि सरकारी स्कूलों के परिसर में किसी भी राजनीतिक या निजी कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि शशिकांत की याचिका में राज्य शिक्षा विभाग के सचिव, निदेशक, उपनिदेशक, बीईईओ, स्कूल के प्रधानाध्यापक और शादी की मेजबानी करने वाली महिला शिक्षिका को प्रतिवादी बनाया गया है।

पिछले सप्ताह जब यह मामला उच्च न्यायालय में उठाया गया तो शिक्षक ने इसके लिए माफी मांगी।

अधिकारियों ने बताया कि मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने उन्हें चार सप्ताह के भीतर स्कूल में दो आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) वाटर प्यूरीफायर लगाने का निर्देश दिया।

उन्होंने बताया कि पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर के लिए तय की है और सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

अदालत अगली सुनवाई में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच करेगी।

अधिकारियों को दो दिन के भीतर प्रधानाध्यापक का वर्तमान पता उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं। सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक से पूछा गया है कि क्यों न उन्हें न्यायालय के आदेशों की अवमानना ​​के लिए सजा दी जाए।

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