हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को भाजपा के इस आरोप का खंडन किया कि कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल किया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर द्वारा उठाए गए प्रश्न का उत्तर देते हुए सुखू ने कहा कि यह निर्णय पहली कैबिनेट बैठक में ही लिया गया था जिसका एकमात्र उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस बहाल कर दिया गया है, लेकिन इस कदम से वित्तीय झटका लगा है क्योंकि केंद्र ने राज्य की 1,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधार सीमा वापस ले ली है।
उन्होंने बताया कि ओपीएस के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों में से 5,356 कर्मचारी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं और पुरानी योजना के तहत पेंशन ले रहे हैं। सुक्खू ने बताया कि आने वाले वर्षों में और अधिक कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के साथ पेंशन देनदारी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
हिमाचल प्रदेश में 30 दिसंबर, 2022 से 31 अक्टूबर, 2025 के बीच कुल 26,324 सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने बताया कि इसमें 2022-23 में 9,498, 2023-24 में 9,821 और 31 अक्टूबर, 2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले 7,005 कर्मचारी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इसी अवधि के दौरान राज्य सरकार ने 8,436 नये पद सृजित किये। उन्होंने रेखांकित किया कि रोजगार सृजन जारी रहेगा, लेकिन बहाल पेंशन योजना से वित्तीय दबाव बढ़ता रहेगा।


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