N1Live Himachal हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार से पहाड़ियों की सफाई के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित करने को कहा
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हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार से पहाड़ियों की सफाई के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित करने को कहा

Himachal Pradesh High Court asks government to set up special task force to clean hills

शिमला, 27 जुलाई स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नगर परिषदों/निगमों, नगर पंचायतों के सदस्यों, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पर्यटन विकास निगम (टीडीसी), वन विभाग, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए एक विशेष कार्य बल गठित करने का निर्देश दिया है, जो पहाड़ी नदियों और अन्य संवेदनशील स्थानों की सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगा।

न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने प्लास्टिक कचरे के कारण पर्यावरण के क्षरण के मुद्दे पर प्रकाश डालने वाली एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

प्लास्टिक बायबैक नीति को क्रियाशील बनाना अदालत ने राज्य को निर्देश दिया कि वह प्लास्टिक वापस खरीदने की नीति को सप्ताह के सातों दिन पूरी तरह क्रियाशील बनाए, ताकि नागरिकों, विशेषकर कूड़ा बीनने वालों को सड़कों, जंगलों और नदियों आदि में पड़े कचरे को इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहन मिले, जो कई मामलों में इस प्रणाली से ही उनकी आजीविका का स्रोत बन सकता है। अदालत ने शहरी स्थानीय निकाय निदेशक और पंचायती राज निदेशक को निर्देश दिया कि वे पंचायतों, टीडीसी और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए अपशिष्ट पृथक्करण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह पर्यटक सूचना केन्द्र, पर्यावरण अनुकूल शौचालय आदि की स्थापना पर भी विचार कर सकता है, ताकि उचित अपशिष्ट निपटान सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें।

अदालत ने शहरी स्थानीय निकायों के निदेशक और पंचायती राज के निदेशक को पंचायतों, टीडीसी और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए कचरा पृथक्करण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया। इसने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह ट्रेकिंग मार्गों के साथ-साथ पर्यटकों द्वारा घास के मैदानों में ले जाए जा रहे प्लास्टिक/कांच के कचरे आदि का आकलन करने के लिए चेक प्वाइंट स्थापित करके टिकाऊ पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर विचार करे।

अदालत ने राज्य को गोवा की तर्ज पर नगरीय अपशिष्ट प्रबंधन निगम स्थापित करने का भी सुझाव दिया। अदालत ने आगे कहा कि वह पर्यटक सूचना केन्द्रों, पर्यावरण अनुकूल शौचालयों की स्थापना, साहसिक कम्पनियों, स्थानीय गाइडों और शिविर मालिकों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने पर भी विचार कर सकती है, ताकि उचित अपशिष्ट निपटान सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें और स्वच्छता और स्थिरता बनाए रखने के लिए दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन किया जा सके।

राज्य सरकार सबसे पहले खीरगंगा, हामटा, बिजली महादेव, साच पास, ब्यास कुंड, श्रीखंड महादेव, मणिमहेश यात्रा, चूड़धार, त्रियुंड और चांसल जैसे कुछ प्राथमिकता वाले (अधिक पर्यटक वाले) ट्रैकिंग मार्गों पर विचार कर सकती है।

इन निर्देशों को पारित करते हुए, अदालत ने कहा कि “यह देखा गया है कि राज्य में प्लास्टिक बायबैक नीति वस्तुतः गैर-कार्यात्मक है। शहरी विकास विभाग के निदेशकों और नगर परिषदों/निगमों दोनों ने ही इस बात को स्वीकार किया है।”

उच्च न्यायालय ने उपायुक्त कुल्लू और उपायुक्त लाहौल एवं स्पीति को निर्देश दिया कि वे ग्रीन टैक्स के लिए एकत्रित धनराशि के बारे में अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल करें और बताएं कि इन धनराशियों का उपयोग/खर्च किस प्रकार किया गया तथा इनका उद्देश्य क्या

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