March 28, 2025
National

हिमाचल प्रदेश : इंटरलॉक टाइल प्रोजेक्ट के तहत लाखों कमा रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, अन्य को दे रहीं रोजगार

Himachal Pradesh: Women of self-help groups are earning lakhs under the interlock tile project and giving employment to others

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने में देश की महिलाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसका उदाहरण हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में देखने को मिला, जहां स्वयं सहायता समूह की महिलाएं एक नया मुकाम हासिल कर रही हैं। जिले के पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र के मेरुवाला गांव में 12 स्वयं सहायता समूहों की 120 महिलाओं ने मिलकर इंटरलॉक टाइल प्रोजेक्ट शुरू किया, जिससे वे लाखों में कमाई कर रही हैं।

पांवटा साहिब के मेरुवाला गांव की महिलाओं के पास पहले से ही कई छोटे कारोबार थे, लेकिन वे कुछ बड़ा करना चाहती थीं। समृद्धि ग्राम संगठन की प्रधान महेंदरो देवी, सचिव ललिता देवी, और मैनेजर रीना के नेतृत्व में महिलाओं ने टाइल निर्माण प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में दो साल का समय लगा, लेकिन आज इसका सकारात्मक परिणाम दिखने लगा है। महिलाओं ने इस प्रोजेक्ट के लिए विशेष ट्रेनिंग ली और उच्च तकनीक (हाईटेक) मशीनें मंगवाईं। उन्होंने कई कंपनियों से टाइअप किया और आधुनिक तकनीकों को सीखा, ताकि बेहतरीन गुणवत्ता की टाइलें बनाई जा सकें।

प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद सिरमौर जिले के पछात ब्लॉक, शिलाई ब्लॉक और तिलोरधार ब्लॉक की पंचायतों से ऑर्डर मिलने लगे हैं। पंचायतें इन टाइलों को सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थानों के लिए खरीद रही हैं। इससे न केवल गांव की महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि “इस प्रोजेक्ट की सफलता ने उन्हें यह विश्वास दिलाया है कि यदि महिलाएं संगठित होकर मेहनत करें, तो वे भी एक सफल उद्यमी बन सकती हैं।” प्रधान महेंदरो देवी ने बताया कि “इस प्रोजेक्ट से पहले महिलाएं सिर्फ छोटे स्तर पर काम कर रही थीं, लेकिन अब वे लाखों में कमाई कर रही हैं।”

उन्होंने अन्य महिलाओं को भी यह संदेश दिया कि वे भी अपने कार्यों को हाईटेक बनाएं और उसे बड़े स्तर पर लेकर जाएं, ताकि उनकी आय बढ़े और वे आत्मनिर्भर बन सकें।

समूह के बारे में महिलाओं ने बताया, “इस ग्रुप की शुरुआत 2016 में हुई थी। उस समय महिलाएं गाय का दूध बेचने, खेतों में काम करने और अन्य छोटे-मोटे कार्यों के जरिए अपनी आय अर्जित करती थीं। साथ ही, वे विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रही थीं। हालांकि, तीन साल पहले उन्होंने एक नए कार्य की शुरुआत की, जो अब पूरा हो चुका है और इससे उन्हें रोजगार भी मिलने लगा है।”

उन्होंने बताया, “इस कार्य के लिए कुछ मशीनें हरियाणा और अन्य राज्यों से मंगवाई गई थीं, जबकि कुछ मशीनें पांवटा साहिब में भी उपलब्ध हो गई थीं। अब तक उन्हें 10 से 15 लाख रुपए के ऑर्डर मिल चुके हैं, और कुछ की भुगतान प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।”

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