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पश्चिम बंगाल में हिंदू शरणार्थी बन गया है, हर जगह चल रही दादागिरी : मिथुन चक्रवर्ती

Hindus have become refugees in West Bengal, hooliganism is going on everywhere: Mithun Chakraborty

पश्चिम बंगाल के हालात को भाजपा नेता और दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने दुखद बताया। उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था, तृणमूल सरकार की भूमिका और हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को लेकर सीधा और बेबाक नजरिया सामने रखा। सीएम ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “बंगाल में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि आम हिंदू अब अपने ही राज्य में शरणार्थी बन गया है।” मिथुन ने तमाम मुद्दों को लेकर आईएएनएस से विशेष बातचीत की।

सवाल: क्या बंगाल में हिंदुओं को जानबूझकर चुन-चुन कर टारगेट किया जा रहा है?

जवाब: वक्फ तो बस एक बहाना है। इसके पीछे असली एजेंडा कुछ और है, और वह एजेंडा है हिंदुओं को निशाना बनाना। वक्फ की जमीनें नेताओं ने हथिया ली हैं। कहीं गोदाम बना दिए, कहीं किराए पर चढ़ा दिए। अगर मुसलमान भाइयों और बहनों को कुछ मिल भी जाता तो हम कुछ नहीं कहते। लेकिन ये तो खुद ही खा रहे हैं। और इसी बहाने हिंदू घरों को उजाड़ा जा रहा है। लोगों के घर जलाए जा रहे हैं, तहस-नहस कर दिए गए हैं। लोग ट्रांजिट कैंपों में खिचड़ी खा रहे हैं। जिनके पास एक छोटी सी कोठरी थी, वो उनके लिए महल था, अब वे सड़क पर हैं।

सवाल: क्या आप कहना चाहते हैं कि ममता बनर्जी की सरकार में मुसलमानों को खुली छूट मिल गई है, इसलिए ये सब हो रहा है?

जवाब: अगर मैडम चाहें, तो एक दिन में सब कुछ खत्म हो सकता है। लेकिन अभी तक उन्होंने किसी को भी नहीं रोका है। बंगाल में अब सनातनी, ईसाई, सिख ये सब लोग इस पार्टी को वोट नहीं देते इसलिए तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है। जो वोट बैंक है, उनको खुश रखने के लिए कुछ भी किया जा रहा है। चाहे कोई मरे या जिंदा रहे।

सवाल: तो कहने का मतलब ये कि बंगाल में हिंदू अब शरणार्थी हो गए हैं?

जवाब: बिल्कुल, शरणार्थी बन गए हैं। हर जगह दादागिरी चल रही है, और हम लोग तो शांति चाहते हैं। कोई दंगा नहीं, कोई फसाद नहीं, बस फेयर इलेक्शन चाहिए। लेकिन सरकार उसे भी नहीं होने दे रही।

सवाल: पश्चिम बंगाल की पुलिस के रोल को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: वहां की पुलिस दंगा नहीं रोकती, वो तो ‘फंक्शन’ देखने जाती है। कुर्सी लेकर बैठते हैं और तमाशा देखते हैं। जैसे कोई शो चल रहा हो। सब कुछ आंखों के सामने होता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।

सवाल: क्या लगता है, बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए?

जवाब: अगर ऐसा ही चलता रहा तो बिल्कुल, जितनी जल्दी हो सके राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। मैंने होम मिनिस्टर से पहले भी रिक्वेस्ट की है और आपके माध्यम से फिर कर रहा हूं कि चुनाव से कम से कम दो महीने पहले आर्मी तैनात कर दीजिए। जब तक नतीजे न आ जाएं, और उसके बाद एक महीना और क्योंकि अगर मौजूदा सरकार फिर जीतती है, तो वही कत्लेआम दोबारा होगा।

सवाल: क्या बंगाल में सेना की जरूरत है?

जवाब: इस वक्त तो बहुत ज्यादा जरूरत है। जो हालात हैं, उसमें सिर्फ सेना ही कुछ कर सकती है।

सवाल: इन दिनों गवर्नर हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब: गवर्नर साहब को और पहले जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया। उन्होंने कोई पैसा नहीं मांगा, सिर्फ ये दिखाने गए थे कि कोई है जो उनके साथ खड़ा है। पर उन्हें भी रोका गया। बस लोग बैठे-बैठे मार खा रहे हैं और सरकार देखती रह जाती है। बहुत दुख होता है।

सवाल: जो दंगे हुए हैं, उसके लिए आप सबसे बड़ा दोष किसे मानते हैं?

जवाब: ये वक्फ कानून तो सिर्फ एक बहाना है। असली मकसद कुछ और है। जब मैडम खुद कहती हैं कि ‘मैं जमीनें नहीं दूंगी’, जबकि दोनों सदनों ने बिल पास किया और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून के रूप ले चुका है। तो मेरा सवाल यही है कि दिक्कत कहां है? अगर कानून के खिलाफ खड़ा होना ही है, तो फिर दंगे होंगे ही। यही असली वजह है।

सवाल: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इन दंगों की जिम्मेदार ममता बनर्जी हैं। क्या आप इससे सहमत हैं?

जवाब: वो तो सीधे कह रही हैं, क्योंकि ममता बनर्जी ही मुख्यमंत्री हैं। मैं भी कुछ कहूंगा, लेकिन थोड़ा समय लूंगा। जब बोलूंगा तो बहुत भारी पड़ेगा।

सवाल: क्या आप खुद हिंसाग्रस्त इलाकों में जा रहे हैं?

जवाब: मैं जाना चाहता हूं, लेकिन मुझे अब तक परमिशन नहीं मिली।

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