भूमि एवं संपत्ति के पंजीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की आवश्यकता को समाप्त करने के बाद, पंजाब आवास एवं शहरी विकास विभाग ने राज्य भर में अवैध कॉलोनियों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने की कवायद शुरू कर दी है।
आधिकारिक तौर पर राज्य में लगभग 14,000 अवैध कॉलोनियां हैं, हालांकि वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है।
आवास एवं शहरी विकास सचिव राहुल तिवारी ने पटियाला, बठिंडा, लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों के मुख्य प्रशासकों को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि कोई भी अवैध कॉलोनी न बने। उन्हें पिछले तीन महीनों के गूगल इमेज का अध्ययन करने के लिए कहा गया है ताकि अवैध निर्माणों पर नज़र रखी जा सके और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ तुरंत कानूनी कार्रवाई की जा सके।
सचिव ने नई अनाधिकृत कॉलोनियों पर तिमाही रिपोर्ट, कॉलोनाइजरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी मांगा है।
मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में भूमि एवं संपत्ति के पंजीकरण के लिए एनओसी की शर्त को समाप्त करने को सैद्धांतिक मंजूरी दिए जाने के बाद, आवास विभाग को अपेक्षित लाभार्थियों तक राहत पहुंचाने के लिए रूपरेखा तैयार करने को कहा गया है।
एनओसी से छूट की एकमुश्त राहत उन संपत्ति मालिकों को दी जाएगी जो 31 जुलाई, 2024 से पहले निष्पादित अपनी संपत्ति की बिक्री विलेख की वास्तविकता साबित करने में सक्षम हैं। वर्तमान में, अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का मुद्दा पंजाब कानून (अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2018 के तहत निपटाया जाता है।
ऐसी कॉलोनियों में कई वास्तविक खरीदारों को आवास एवं शहरी विकास विभाग तथा स्थानीय सरकार विभाग से एनओसी प्राप्त करने में कथित तौर पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों ने बताया कि एनओसी चाहने वालों के रिकॉर्ड की जांच में कई एजेंसियों के शामिल होने के कारण प्रमाण पत्र जारी करने में देरी की शिकायतें मिली हैं। ऐसे कई मामले थे जिनमें ऐसी कॉलोनियों के बिक्री समझौते 19 मार्च, 2018 से पहले निष्पादित किए गए थे, लेकिन उनके भौतिक अस्तित्व को Google छवियों का उपयोग करके सत्यापित नहीं किया जा सका।
अधिकारियों ने बताया कि आवास एवं शहरी विकास विभाग, संपत्ति मालिकों को एकमुश्त राहत देने से पहले तौर-तरीकों पर काम करने के लिए स्थानीय निकाय एवं राजस्व विभाग तथा महाधिवक्ता (एजी) के कार्यालय के साथ समन्वय कर रहा है।