पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक तिवारी ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के विद्यार्थियों से समाज की “आंख और कान” के रूप में कार्य करने तथा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और साइबर अपराध को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।
वह हिमाचल प्रदेश पुलिस और एचपीयू द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित नशाखोरी जागरूकता अभियान को संबोधित कर रहे थे। इस अभियान का उद्देश्य छात्रों को नशे की लत, साइबर खतरों और उपलब्ध कानूनी सुरक्षा के खतरों के प्रति जागरूक करना था।
छात्र कल्याण डीन प्रोफेसर ममता मोक्टा ने कार्यक्रम का समन्वय किया तथा डीजीपी और अन्य उपस्थित पुलिस अधिकारियों का गर्मजोशी से स्वागत किया।
अपने संबोधन में, तिवारी ने छात्रों को सतर्क रहने, अपने आस-पास का ध्यान रखने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत हेल्पलाइन नंबर 112 और 1930 या नज़दीकी पुलिस स्टेशन पर सूचना देने की सलाह दी। उन्होंने साइबर अपराध के बढ़ते खतरों के बारे में भी बात की और निवारक उपायों और उपलब्ध सहायता प्रणालियों के बारे में बताया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य की पहलों पर प्रकाश डालते हुए, डीजीपी ने कहा कि पुलिस विभाग जागरूकता अभियान, पुनर्वास एवं परामर्श, सुदृढ़ कानून प्रवर्तन, तकनीकी हस्तक्षेप, समुदाय एवं युवाओं की भागीदारी और नीति-स्तरीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि नशीली दवाओं के दुरुपयोग और साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। तिवारी ने छात्रों से व्यक्तिगत रूप से भी बातचीत की, उनकी शंकाओं का समाधान किया और पुलिस द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी।
हिमाचल प्रदेश पुलिस को साइबर सुरक्षा में अग्रणी बनाने के लिए, एचपीयू ने शैक्षणिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए राज्य पुलिस के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह सहयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, साइबर फोरेंसिक और क्षमता निर्माण में अनुसंधान एवं विकास पर केंद्रित होगा। इसका उद्देश्य इंटर्नशिप के माध्यम से छात्रों को पुलिस कार्यप्रणाली से परिचित कराना है, साथ ही पुलिस अधिकारियों को अनुप्रयुक्त अनुसंधान, प्रशिक्षण कार्यशालाओं और ज्ञान के आदान-प्रदान से लाभान्वित करना है