N1Live National मैं सरदारपुरा या किसी अन्य सीट से नहीं डरता: गजेंद्र सिंह शेखावत (आईएएनएस साक्षात्कार)
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मैं सरदारपुरा या किसी अन्य सीट से नहीं डरता: गजेंद्र सिंह शेखावत (आईएएनएस साक्षात्कार)

I am not afraid of Sardarpura or any other seat: Gajendra Singh Shekhawat (IANS Interview)

जयपुर, 8 अक्टूबर । केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ तब से टकराव चल रहा है, जब उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पिछले चार दशकों से गहलोत का गृह क्षेत्र रहे जोधपुर सीट पर मुख्‍यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत को हराया था।

राजस्थान के सीएम और शेखावत के बीच खींचतान अब एक खुला रहस्य है। दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर वाक्-युद्ध छिड़ गया है, जिनमें से संजीवनी घोटाला एक ज्वलंत मुद्दा रहा है।

ऐसी भी अटकलें हैं कि राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में गहलोत बनाम शेखावत मुकाबला देखने को मिल सकता है। गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने वाले शेखावत ने शुक्रवार को कहा था कि अगर सीएम सार्वजनिक रूप से अपने बयान के लिए माफी मांगते हैं तो वह उन्हें माफ करने पर विचार करेंगे। यह मामला संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले के संबंध में शेखावत के खिलाफ गहलोत द्वारा दिए गए कथित “भ्रामक बयानों” से संबंधित है। राज्य सचिवालय में 21 फरवरी को बजट समीक्षा बैठक के बाद गहलोत ने कहा था कि उनके माता-पिता और पत्नी सहित पूरा शेखावत परिवार इस घोटाले में शामिल है।

आईएएनएस ने शेखावत से राज्य सरकार की पीआर एजेंसी डिजाइन बॉक्स समेत कई मुद्दों पर बात की। यहां साक्षात्कार के अंश दिए गए हैं।

आईएएनएस: ऐसी चर्चाएं हैं कि आपको सरदारपुरा से मैदान में उतारा जाएगा…

जवाब: पार्टी मंच पर अभी ऐसी कोई चर्चा नहीं है… दरअसल, आज तक किसी भी सांसद के कहीं से चुनाव लड़ने पर कोई चर्चा नहीं हुई है। पार्टी का संसदीय बोर्ड तय करता है कि कोई सांसद चुनाव लड़ेगा या संगठन के लिए काम करना जारी रखेगा… यह पार्टी का विशेषाधिकार है, और कोई भी अपने दम पर निर्णय नहीं ले सकता है। हालाँकि, मैं इस मामले में सरदारपुरा या किसी अन्य सीट से मैदान में उतारे जाने से नहीं डरता। अगर पार्टी मुझसे किसी भी सीट से चुनाव लड़ने को कहेगी तो मैं लड़ूंगा।

हम पहले ही 2019 का लोकसभा चुनाव आमने-सामने लड़ चुके हैं, क्योंकि गहलोत मुख्यमंत्री थे और उनका बेटा मेरे खिलाफ चुनाव लड़ रहा था। वास्‍तव में सीएम और उनकी पूरी मशीनरी ही हमारे खिलाफ चुनाव लड़ रही थी। इसलिए हम पहले ही इस लड़ाई को देख चुके हैं।

आईएएनएस: संजीवनी घोटाले में गहलोत आप पर आरोप लगाते रहे हैं। क्या इससे आपकी छवि को धक्का लगा है?

उत्तर: एक प्रतिशत भी नहीं… यह पूर्णतः राजनीतिक प्रतिशोध है। कोई नहीं कह सकता कि शेखावत इस घोटाले में शामिल थे। वास्तव में, गहलोत के बेटे ने एक होटल कंपनी का शेयर 100 रुपये में खरीदने के बाद मॉरीशस के एक व्यक्ति को 40 हजार रुपये में बेच दिया था। कोई किसी भी स्‍तर पर कल्‍पना भी नहीं कर सकता कि मैंने कुछ भी गलत किया है।

आईएएनएस: क्या वसुंधरा राजे नाराज हैं क्‍यों‍कि वह भाजपा की परिवर्तन यात्रा से नदारद रहीं?

उत्तर: मुझे नहीं लगता कि वह नाराज हैं। यह उनके स्वभाव का हिस्सा है। वह परिवर्तन यात्रा की शुरुआत और अंत में आईं। इस बीच वह किसी अन्य यात्रा पर नहीं गयीं। मैं कहूंगा कि यह उसका स्वभाव है। साथ ही, उनकी कुछ निजी समस्याएं भी हैं। उनकी बहू की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए वह थोड़ी परेशान हैं।

आईएएनएस: ऐसी अटकलें हैं कि राजपूत समुदाय वसुंधरा को दरकिनार किये जाने से नाराज है?

ऊत्तरः राजपूत मतदाता भाजपा के कट्टर मतदाता हैं और यह सच नहीं हो सकता कि वे किसी एक नेता के कारण नाराज हों। पिछले चुनावों में कुछ ऐसे मुद्दे थे जिनके कारण कुछ राजपूत मतदाता चुप थे, लेकिन वे स्वतःस्फूर्त निर्णय थे। उस समय वे कई मुद्दों पर नाराज थे, जैसे मुझे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नहीं बनाया गया, आनंदपाल एनकाउंटर हुआ, जैसलमेर में छत्र सिंह एनकाउंटर हुआ… तो इन मुद्दों पर समाज में गुस्सा पैदा हुआ।

देखिये, पार्टी ही नेता बनाती है और नेता पार्टी के कारण ही लोकप्रिय होता है। नेताओं का कद पार्टी तय करती है। भारतीय जनता पार्टी की परंपरा परिवर्तन लाने की है। हालाँकि, हम साथ मिलकर काम करते रहेंगे। ऐसे मुद्दों पर शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेता है। मेरा मानना है कि वसुंधरा राजे भी स्पष्ट हैं और उन्हें इस संदर्भ में कोई संदेह नहीं है।

आईएएनएस: पार्टी के भीतर गुटबाजी पूरे राज्य में एक आम मुद्दा बन गया है। आप क्या कहेंगे?

उत्तर: राजनीति में कुछ कमियों के साथ आकांक्षाएं ठीक हैं। हालाँकि, हमारे बीच कांग्रेस जितने मतभेद नहीं हैं। देखिए, कांग्रेस और भाजपा में यही अंतर है कि हमारे शीर्ष नेतृत्व का दबदबा और प्रमुखता है। कांग्रेस में आलाकमान को चुनौती दी गई और इसके बावजूद भी गहलोत सीएम बने हुए हैं। क्या भाजपा में यह संभव है? नहीं। हमारे उच्च नेतृत्व के पास कांग्रेस के विपरीत मजबूत प्रभुत्व है।

आईएएनएस: गहलोत आपका नाम संजीवनी घोटाले में आरोपी के रूप में लेते रहे हैं। अब आप ने उन पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है। कोई विशेष कारण?

उत्‍तर: देखिए, शुरू में तो मैंने चुपचाप आरोपों को बर्दाश्त कर लिया। हालाँकि, जब उन्होंने मेरी माँ के बारे में बात की, जिनका एक साल पहले निधन हो गया, तो मैंने मानहानि का मुकदमा दायर करने का फैसला किया। गहलोत सात बार कोर्ट में जा चुके हैं। उसके पास अब केवल दो विकल्प हैं – या तो वह सार्वजनिक माफी मांगे, या उसे सजा का सामना करें… उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। उन्होंने हाल ही में अपनी न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार वाली टिप्पणी के लिए अदालत में माफी मांगी। इस मामले में भी उन्हें माफ़ी मांगनी होगी।

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