N1Live National मुझे फिल्म निर्माण सीखने की कमी नहीं खलती: निर्देशक इम्तियाज अली
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मुझे फिल्म निर्माण सीखने की कमी नहीं खलती: निर्देशक इम्तियाज अली

I don't miss learning filmmaking: Director Imtiaz Ali

कसौली, 20 अक्टूबर । कसौली लिटरेरी फेस्टिवल (केएलएफ) में पहुंचे निर्देशक इम्तियाज अली ने आईएएनएस से डिजिटल प्लेटफॉर्म समेत अन्य मुद्दों पर खुलकर बात की। अली ने ओटीटी के महत्व के बारे में भी बताया। इस दौरान उन्होंने माना कि फिल्म निर्माण सीखने की कमी उन्हें नहीं खलती है।

बातचीत के दौरान निर्देशक ने कहा कि ‘डिजिटल प्लेटफॉर्म के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आप अपनी इच्छानुसार कहानी को एक नए तरीके से बता सकते हैं और यह सपना हर लेखक/निर्देशक देखता है।‘ ‘यह प्लेटफॉर्म आपको बॉक्स ऑफिस और समय के दबाव को लेकर आजादी देता है।’ ‘हां, ओटीटी ने निश्चित रूप से मेरे जैसे फिल्म निर्माताओं को बहुत कुछ दिया है।’

निर्देशक ने कहा ‘मुझे लगता है कई युवा निर्देशक ओटीटी की आलोचना भी करते हैं।’ हिमाचल प्रदेश में चल रहे कसौली लिटरेरी फेस्टिवल (केएलएफ) में अली ने कहा कि ‘ऐसे लोग आते रहेंगे जो ट्रेंड को बदल देंगे और नए नजरिए को लाएंगे।’

अली वर्तमान में कुछ प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं और स्क्रिप्ट को वह अंतिम रूप देने को तैयार हैं। इसके साथ ही वह ओटीटी चैनल के लिए एक सीरीज डेवलप कर रहे हैं, जिसके लिए जल्द ही प्रोडक्शन शुरू होगा। अली कभी फिल्म स्कूल नहीं गए लेकिन खुद को कम उम्र से ही उन्होंने थिएटर में डुबो दिया। उन्होंने कहा ‘सच कहूं तो मुझे औपचारिक रूप से फिल्म निर्माण सीखने की कमी नहीं खलती।’ ‘थिएटर मेरे लिए बहुत बढ़िया रहा है, जिसने प्रदर्शन और लोगों के माध्यम से कहानियां बताने के बारे में मेरे विचारों को जन्म दिया है।’

‘मैं प्रैक्टिकल एजुकेशन को ज्यादा महत्व देता हूं, मेरे समय के दौरान फिल्म स्कूलों को लेकर नियम काफी सैद्धांतिक हुआ करते थे।’ निर्देशक ने आज के समय से तुलना करते हुए कहा कि ‘बेशक अब चीजें बदल गई हैं।’ उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा ‘मैं अब लगातार ऐसी कहानियों की तलाश में रहता हूं जो किसी खास शैली से जुड़ी ना हों।

निर्देशक ने आगे कहा कि ‘देशभर में मैं फिल्म समारोहों के आयोजित होने के पक्ष में हूं, क्योंकि वे वास्तव में फिल्म देखने की संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं।’

‘कम आबादी वाले शहरों में भी यह होने चाहिए।’ ‘यह केवल मेट्रो शहरों तक ही सीमित न रहें।’

‘ आलोचना की शिकार फिल्मों पर बातचीत होना भी हेल्दी होता है।’

‘मुझे अभी भी सिंगल-स्क्रीन थिएटरों का समय याद है, जब हम जैसे लोग घंटों अपनी देखी हुई फिल्मों के बारे में बात करते थे, फिल्म समारोह उन बातचीत को वापस ला रहे हैं।’ ऐसे समारोह लोगों के लिए एक साथ आने और फिल्मों के बारे में बात करने का एक बेहतरीन स्थान बन जाते हैं।’

उन्होंने कहा नए जनरेशन के पसंदीदा निर्देशकों की बात करूं तो अनुराग बसु, जोया अख्तर, अनुराग कश्यप, राजू हिरानी और अयान मुखर्जी जैसे निर्देशक मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। वे सभी बेहद प्रतिभाशाली लोग हैं।

अपनी बातों को विराम देते हुए उन्होंने कहा, पुराने जमाने के बिमल रॉय मुझे बेहद पसंद हैं।’

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