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महाकुंभ में मकर संक्रांति पर अखाड़ों ने किया दिव्य-भव्य अमृत स्नान

In Mahakumbh, on Makar Sankranti, Akharas took divine-grand nectar bath.

महाकुंभ नगर, 15 जनवरी । तीर्थराज, प्रयागराज में सनातन आस्था के महापर्व, महाकुंभ के अवसर पर मंगलवार को मकर संक्रांति का अमृत स्नान संपन्न हुआ। पौराणिक मान्यता के अनुसार महाकुंभ में मकर संक्रांति के स्नान को अमृत स्नान माना जाता है। आज भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि पर परंपरा अनुसार साधु-संन्यासियों के अखाड़ों ने पूरे विधि-विधान से शोभा यात्रा निकालते हुए अमृत स्नान किया।

सनातन परंपरा में आस्था रखने वाले श्रद्धालु अखाड़ों के अमृत स्नान को देखने और नागा, बैरागी साधु-संतों का आशीर्वाद पाने के लिए कतारबद्ध खड़े थे। हाथों में माले, भाले, तीर, तलवार, त्रिशूल लिए नागा साधुओं ने ब्रह्ममुहूर्त में ही संगम में अमृत स्नान किया।

सहस्त्राब्दियों से चली आ रही महाकुंभ में अमृत स्नान की अक्षुण्ण सनातन परंपरा को जीवंत होता देख आम जनमानस भाव विह्वल हो उठा। हिमालय की कंदराओं, मठों, मंदिरों में रहने वाले धर्म रक्षक नागा अपना रूप श्रृंगार कर मां गंगा की गोद में अठखेलियां करने उतर पड़े।

परंपरा अनुसार आधी रात की बेला से ही अखाड़ों में अमृत स्नान की तैयारियां शुरू हो गई थी। अखाड़े परंपरा और अपने क्रम के अनुसार पूरे लाव-लश्कर के साथ संगम की ओर बढ़ते जा रहे थे। अमृत स्नान की शुरूआत महानिर्वाणी अखाड़े के स्नान के साथ हुई। इसके बाद पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार निरंजनी अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़े के साथ आवाह्न और पंच अग्नि अखाड़े के नागा साधुओं ने स्नान किया।

इनके बाद क्रमशः श्री पंच निर्मोही, पंच दिगंबर अनि और श्री पंच निर्वाणी अनि के बैरागी अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। अमृत स्नान में अंतिम क्रम उदासीन अखाड़ा और निर्मल अखाड़े के साधु-संन्यासियों के स्नान का था।

महाकुंभ में पहले अमृत स्नान के दिन सभी अखाड़ों के साधु, संत सबसे आगे अपने-अपने अखाड़ों की धर्म ध्वजा लेकर चल रहे थे। धर्म ध्वजा के पीछे अखाड़ों के नागा संन्यासी इष्ट देव के जयकारे लगाते हुए, इष्ट देव के विग्रह लेकर बाजे-गाजे, ढोल, नगाड़े बजाते हुए त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ रहे थे। उनके पीछे-पीछे अस्त्र, शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए नागा संन्यासी, आम जन को दुर्लभ दर्शन और आशीर्वाद दे रहे थे।

उनके पीछे क्रम से अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर और आचार्य महामण्डलेश्वरों के रथ सज-धज कर चल रहे थे।

अखाड़ों के आचार्यों और मण्डलेश्वर के साथ उनके अनुयायी अपने गुरुओं की जयकार करते हुए चल रहे थे। होल्डिंग एरिया से नागा संन्यासियों ने अपने आचार्यों का अनुसरण करते हुए पूरे जोश और उत्साह के साथ मां गंगा की गोद में अमृत स्नान की डुबकी लगाई। इसके साथ ही करोड़ों की संख्या में सनातन धर्मावलंबियों ने भी आस्था का अमृत स्नान किया।

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