मलेरकोटला के दसौंधा सिंह वाला गांव में स्थित 1,417 एकड़ भूमि के 400 से अधिक मालिक, जिनमें कई एनआरआई भी शामिल हैं, राहत की सांस लेंगे, जब राजस्व विभाग द्वारा किया गया सबसे लंबा म्यूटेशन (इंतेकाल) उच्च अधिकारियों द्वारा स्वीकृत हो जाएगा।
इस विकास से फरद के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी, जो वर्तमान में एक ही खेवट के कारण एक दुःस्वप्न है, क्योंकि इसमें खतौनियों (एकल या संयुक्त मालिक) की संख्या बहुत अधिक होती है।
इस खेवट में फराद प्राप्त करने की लागत पृष्ठों की अधिक संख्या (प्रति दस्तावेज 25 रुपये) के कारण 5,000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच होती है।
फरद पहला दस्तावेज है, जिसकी मांग संभावित खरीदारों, ऋण स्वीकृत करने वाले बैंकों और अगली पीढ़ी को विरासत में मिलने वाली संपत्ति द्वारा की जाती है। इसके परिणामस्वरूप किसानों द्वारा बेची गई उपज के भुगतान में भी अनावश्यक देरी होती है क्योंकि “जे फॉर्म” के ऑनलाइन अपडेशन के लिए आमतौर पर मंडी बोर्ड के अधिकारियों द्वारा मैन्युअल रिकॉर्डिंग की आवश्यकता होती है।
प्रत्येक खेत की भौतिक माप, अभिलेखों का मिलान और सुधार करने के अलावा, राजस्व अधिकारियों ने 248 पृष्ठों के दाखिल खारिज दस्तावेज और 152 पृष्ठों के खानगी तकसीम (आपसी सहमति) तैयार किए।
प्रस्तावित म्यूटेशन में 425 नए खेवटों के कानूनी मालिक, जो दसौंधा सिंह वाला, कुराड़, छापा और मानकी सहित 12 गांवों से आते हैं, दशकों से परेशान थे, क्योंकि उनकी संपत्तियों का औपचारिक रूप से बंटवारा नहीं हुआ था।
28 जून 2023 को जमीन मालिकों ने तत्कालीन सरपंच समरजीत कौर के नेतृत्व में एक एक्शन कमेटी गठित की थी, जिसमें आपसी बंटवारे पर सहमति बनी थी।
तहसीलदार मेजर डॉ. हरमिंदर सिंह घोलिया ने बताया कि हाल ही में गांव के गुरुद्वारे में एक कैंप लगाया गया था और आम जनता के लिए अंतिम नक्शा प्रदर्शित किया गया था। उन्होंने कहा, “दोनों मालिकों की ओर से कोई आपत्ति न मिलने के बाद हमने रिपोर्ट वरिष्ठ पदाधिकारियों के विचारार्थ भेज दी है।”
राजस्व पटवार यूनियन के प्रधान हरबीर सिंह ढींडसा ने कहा, ‘‘राज्य सरकार को सभी राजस्व अधिकारियों के योगदान की सराहना करनी चाहिए।’’
आढ़ती एसोसिएशन अहमदगढ़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से प्रक्रिया के अंतिम चरण में तेजी लाने की मांग की है।