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जेपीसी की पहली बैठक में विपक्षी सदस्यों ने वक्फ विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों पर सवाल उठाए

In the first meeting of JPC, opposition members raised questions on the proposed amendments in the Waqf Bill.

नई दिल्ली, 23 अगस्त । वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की गुरुवार को पहली बैठक में कई विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि विधेयक के प्रावधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के कानूनों का उल्लंघन करते हैं।

विपक्षी सदस्यों ने विधेयक में उल्लिखित विभिन्न धाराओं पर सवाल उठाए, जिसमें विशेष रूप से जिला कलेक्टरों को विवादित संपत्ति के स्वामित्व पर निर्णय लेने का अधिकार देने के प्रस्ताव के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड के सदस्य के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव पर सवाल किया गया।

हाल ही में 8 अगस्त को संपन्न संसद सत्र के दौरान मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने गुरुवार को पहली बैठक की।

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित पैनल में 31 सांसद शामिल हैं। इनमें 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं। गुरुवार की बैठक में मौजूद विपक्षी सदस्यों में कांग्रेस के नसीर हुसैन और गौरव गोगोई, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वी. विजयसाई रेड्डी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, डीएमके के ए. राजा, लोजपा के अरुण भारती, आप के संजय सिंह और टीडीपी के लवू श्रीकृष्ण देवरायलु शामिल हैं। जगदम्बिका पाल के अनुसार, विधेयक पर और इसमें उल्लिखित 44 संशोधनों पर विस्तार से चर्चा की जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को लेकर कई सवाल उठाए और दावा किया कि इससे भारतीय संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।

जेपीसी की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी और यह संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

बैठक के बाद, वाईएसआरसीपी के विजयसाई रेड्डी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा: “हमारे पार्टी अध्यक्ष यश जगन (जगन मोहन रेड्डी) के निर्णय और पार्टी के आधिकारिक रुख के अनुरूप, वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का मैंने आज संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में तर्क के साथ विरोध किया।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में विभिन्न हितधारकों की कई चिंताएं हैं और यह अपने वर्तमान स्वरूप में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने हितधारकों से अपनी राय उन्हें ईमेल करने की अपील की।

केंद्र का दावा है कि विधेयक मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता है, जबकि विपक्षी दल इसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने वाला कदम बता रहे हैं।

भारत में लगभग 30 वक्फ बोर्ड हैं, जो नौ लाख एकड़ से अधिक भूमि पर फैली संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं, जिसका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है। भारतीय रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद देश में सबसे जमीन वक्फ बोर्ड के पास है।

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