मुंबई, 13 जुलाई । भारत की जीडीपी पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के दम पर भारत 2048 में नहीं, बल्कि 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2060 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में अपने संबोधन में पात्रा ने कहा कि ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो भारत में निवेश घरेलू बचत से होता है। 2021-23 की अवधि के दौरान सकल घरेलू बचत दर सकल राष्ट्रीय खर्च योग्य आय का औसत 30.7 प्रतिशत रही है। अन्य देशों की तरह भारत में निवेश या वृद्धि के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं है।
पात्रा ने आगे कहा कि बैलेंस ऑफ पेमेंट के तहत आने वाले करंट अकाउंट गैप में 2023-24 में जीडीपी का 1 प्रतिशत रह सकता है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के बाहरी खतरों का सामना करने में मदद करता है। भारत का सकल विदेशी कर्ज जीडीपी का 20 प्रतिशत बना हुआ है, जिसके लिए भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है।
आगे उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिरता और महंगाई 4 प्रतिशत के आसपास आने के कारण भारत विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। महंगाई का कम होना दिखाता है कि मौद्रिक नीतियों में लिए गए फैसलों का असर हुआ है।
पात्रा ने आगे का कि राजकोषीय समेकन के कारण जनरल सरकारी कर्ज मार्च 2024 में जीडीपी का 81.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आईएमएफ के अनुसार यह इस दशक के अंत तक गिरकर 78.2 प्रतिशत रह सकता है। हमारा अनुमान है कि अगर मैन्युफैक्चरिंग के अधिक उत्पादन वाले सेक्टर जैसे लेबर फोर्स की स्किल बढ़ाने में अधिक खर्च किया जाए तो जनरल सरकारी कर्ज 2030-31 तक गिरकर 73.4 प्रतिशत पर रह सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वृद्धि के पीछे सबसे बड़ा कारण डेमोग्राफिक डिविडेंड का होना है। आज के समय में दुनिया में हर छठा वर्किंग आयु का व्यक्ति भारतीय है। आने वाले तीन दशकों तक यह स्थिति रहेगी। हमें इस अवसर को जरूर भुनाना चाहिए।