N1Live National भारतीय बीमा क्षेत्र को 2047 तक कमजोर तबकों समेत 1 अरब लोगों को कवर करना होगा: रिपोर्ट
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भारतीय बीमा क्षेत्र को 2047 तक कमजोर तबकों समेत 1 अरब लोगों को कवर करना होगा: रिपोर्ट

Indian insurance sector will have to cover 1 billion people, including vulnerable sections, by 2047: Report

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर । भारत के बीमा बाजार ने पिछले दो दशकों में अभूतपूर्व वृद्धि की है। यह पिछले दो दशक में 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। वित्त वर्ष 23 में इसने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। प्रीमियम 10.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। विशेषज्ञ इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं देख रहे हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से भारत में तैयार की गई केपीएमजी की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार वृद्धि के बावजूद, भारत में बीमा निवेश 4 प्रतिशत है। यह वृद्धि वैश्विक औसत 6.8 प्रतिशत से काफी कम है।

इसमें यह भी बताया गया है कि सरकार की कई पहल और अनुकूल विनियामक वातावरण ने बीमा पैठ को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) जैसी स्कीम्स ने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के लिए कवरेज का विस्तार किया है।

साथ ही इस रिपोर्ट में इस क्षेत्र में उभरते हुए जोखिमों को भी चिह्नित किया गया है। इन जोखिमों में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जोखिमों (विशेषकर कृषि क्षेत्र में) से निपटने के लिए नवीन बीमा समाधानों की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जो कि पीक सीजन की घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होता जा रहा है।

ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय पेशेवर सेवा नेटवर्क, केपीएमजी के भारत में परामर्श के राष्ट्रीय प्रमुख हेमंत झाझरिया ने इस रिपोर्ट पर बात करते हुए कहा, “भारत में बीमा क्षेत्र एक नई यात्रा की शुरुआत कर रहा है, क्योंकि हमारा लक्ष्य एक अरब से अधिक लोगों को बीमा प्रदान करना है। डिजिटल-प्रथम अभिनव व्यवसाय मॉडल सुरक्षा अंतर को काफी हद तक पाट सकते हैं और हमें 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ विजन करीब ले जा सकते हैं।”

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “हमारा ध्यान अब ग्राहक-केंद्रित समाधान विकसित करने और पॉलिसीधारकों के अनुभव को बढ़ाने, बीमा पहुंच और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की ओर होना चाहिए।”

रिपोर्ट में डिजिटल भुगतान प्रणालियों को एकीकृत करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और हाशिए पर पड़े ग्राहक वर्गों के बीच बीमा कवरेज का विस्तार करने के लिए सरकार द्वारा प्रवर्तित सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना का लाभ उठाने की संभावनाओं का भी पता लगाया गया है।

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