हिमाचल प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग (एचपीईआरसी) ने बिजली की प्रति यूनिट 1 रुपये की रात्रि रियायत को समाप्त कर दिया है, जिससे लागत में प्रभावी रूप से वृद्धि हुई है। यह राज्य के उद्योग के लिए एक गंभीर झटका है, जो पहले से ही विभिन्न राज्य स्तरीय शुल्कों के कारण घाटे में चल रहा है।
इस निर्णय से पंजाब के साथ लागत का अंतर बढ़ गया है, जहां उद्योगों को अभी भी 1.20 रुपये प्रति यूनिट की दर से रात्रिकालीन रियायत मिल रही है, जिससे हिमाचल प्रदेश की बिजली दरें 50 पैसे प्रति यूनिट महंगी हो गई हैं।
निवेशकों को डर है कि इस निर्णय से औद्योगिक उत्पादकता में गिरावट आएगी। उनका कहना है, “अगर यह असमानता जारी रही तो अगले दो या तीन वर्षों में कारखाने बंद हो जाएंगे या राज्य से बाहर चले जाएंगे, जिससे बड़े पैमाने पर नौकरियां खत्म हो जाएंगी और आर्थिक गिरावट आएगी।”
वे पंजाब में दी जा रही सुविधाओं के अनुरूप एक रुपये प्रति यूनिट रात्रि रियायत को तत्काल बहाल करने तथा पारदर्शी और निष्पक्ष टैरिफ युक्तिकरण अपनाने की मांग कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश स्टील इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव राजीव सिंगला कहते हैं कि यह बिजली दरों में बढ़ोतरी का एक धूर्त प्रयास है। “1 अप्रैल से रात में 1 रुपये प्रति यूनिट की रियायत खत्म करने के फैसले से प्रभावी बिजली लागत में 35 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हुई है, जिससे उद्योगों पर और दबाव बढ़ गया है।”
वे कहते हैं, “पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश में बिजली की दरों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जिससे कई उद्योगों के लिए परिचालन मुश्किल हो गया है।” वे आगे कहते हैं, “पंजाब रात्रि रियायत के रूप में 1.20 रुपये प्रति यूनिट बिजली की पेशकश कर रहा है, जबकि राज्य के उद्योग अब 50 पैसे प्रति यूनिट के घाटे का सामना कर रहे हैं, जिससे उन्हें या तो अपना परिचालन बंद करना पड़ेगा या कहीं और स्थानांतरित होना पड़ेगा।”
एसोसिएशन के अध्यक्ष मेघ राज गर्ग कहते हैं, “पहले तो सरकार ने उद्योगों को बिजली सब्सिडी का लालच दिया और जब हमने निवेश किया तो बिजली को महंगा करके हमें भगाने पर तुली हुई है। जब पंजाब में बिजली 50 पैसे प्रति यूनिट सस्ती है तो हम कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं?
वह कहते हैं, “यह सिर्फ़ उच्च लागत का मामला नहीं है, बल्कि जीवन-यापन का भी मामला है। अगर यह फ़ैसला वापस नहीं लिया गया, तो हिमाचल में आने वाले सालों में फ़ैक्टरियाँ बंद होने की लहर देखने को मिलेगी।”
बद्दी-बरोटीवाला नालागढ़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल कहते हैं, “पिछले दो सालों में राज्य सरकार ने बिजली सब्सिडी वापस ले ली है और बिजली शुल्क बढ़ा दिया है। इसके अलावा, बिजली पर दूध उपकर और पर्यावरण उपकर लगाने से उद्योग पर लागत में लगभग 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी का बोझ पड़ा है, जो कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के इतिहास में सबसे अधिक वृद्धि है।”
राज्य की बिजली दरें पंजाब से भी आगे निकल गई हैं, जहां सरकार ने निर्धारित शुल्कों में कमी करके अतिरिक्त रियायत दी है। एचपीईआरसी का टैरिफ आदेश उद्योग के हितों के खिलाफ है, जो पहले से ही बुनियादी ढांचे की कमी, परिवहन के कार्टेलाइजेशन और विशिष्ट शुल्कों के लागू होने के कारण उच्च परिवहन लागत से जूझ रहा है
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